6 चुनाँचे इसराईली क़ौम को बता, ‘रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है कि तौबा करो! अपने बुतों और तमाम मकरूह रस्मो-रिवाज से मुँह मोड़कर मेरे पास वापस आ जाओ। 7 उसके अंजाम पर ध्यान दो जो ऐसा नहीं करेगा, ख़ाह वह इसराईली या इसराईल में रहनेवाला परदेसी हो। अगर वह मुझसे दूर होकर अपने बुतों से लिपट जाए और वह चीज़ें अपने सामने रखे जो ठोकर और गुनाह का बाइस हैं तो जब वह नबी की मारिफ़त मुझसे मालूमात हासिल करने की कोशिश करेगा तो मैं, रब उसे मुनासिब जवाब दूँगा। 8 मैं ऐसे शख़्स का सामना करके उससे यों निपट लूँगा कि वह दूसरों के लिए इबरतअंगेज़ मिसाल बन जाएगा। मैं उसे यों मिटा दूँगा कि मेरी क़ौम में उसका नामो-निशान तक नहीं रहेगा। तब तुम जान लोगे कि मैं ही रब हूँ।
9 अगर किसी नबी को कुछ सुनाने पर उकसाया गया जो मेरी तरफ़ से नहीं था तो यह इसलिए हुआ कि मैं, रब ने ख़ुद उसे उकसाया। ऐसे नबी के ख़िलाफ़ मैं अपना हाथ उठाकर उसे यों तबाह करूँगा कि मेरी क़ौम में उसका नामो-निशान तक नहीं रहेगा। 10 दोनों को उनके क़ुसूर की मुनासिब सज़ा मिलेगी, नबी को भी और उसे भी जो हिदायत पाने के लिए उसके पास आता है। 11 तब इसराईली क़ौम न मुझसे दूर होकर आवारा फिरेगी, न अपने आपको इन तमाम गुनाहों से आलूदा करेगी। वह मेरी क़ौम होंगे, और मैं उनका ख़ुदा हूँगा। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है’।”
15 या फ़र्ज़ कर कि मैं मज़कूरा मुल्क में वहशी दरिंदों को भेज दूँ जो इधर-उधर फिरकर सबको फाड़ खाएँ। मुल्क वीरानो-सुनसान हो जाए और जंगली दरिंदों की वजह से कोई उसमें से गुज़रने की जुर्रत न करे। 16 मेरी हयात की क़सम, ख़ाह मज़कूरा तीन रास्तबाज़ आदमी मुल्क में क्यों न बसते तो भी अकेले ही बचते। वह अपने बेटे-बेटियों को भी बचा न सकते बल्कि पूरा मुल्क वीरानो-सुनसान होता। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।
17 या फ़र्ज़ कर कि मैं मज़कूरा मुल्क को जंग से तबाह करूँ, मैं तलवार को हुक्म दूँ कि मुल्क में से गुज़रकर इनसानो-हैवान को नेस्तो-नाबूद कर दे। 18 मेरी हयात की क़सम, ख़ाह मज़कूरा तीन रास्तबाज़ आदमी मुल्क में क्यों न बसते वह अकेले ही बचते। वह अपने बेटे-बेटियों को भी बचा न सकते। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।
19 या फ़र्ज़ कर कि मैं अपना ग़ुस्सा मुल्क पर उतारकर उसमें मोहलक वबा यों फैला दूँ कि इनसानो-हैवान सबके सब मर जाएँ। 20 मेरी हयात की क़सम, ख़ाह नूह, दानियाल और अय्यूब मुल्क में क्यों न बसते तो भी वह अपने बेटे-बेटियों को बचा न सकते। वह अपनी रास्तबाज़ी से सिर्फ़ अपनी ही जानों को बचाते। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।
21 अब यरूशलम के बारे में रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान सुनो! यरूशलम का कितना बुरा हाल होगा जब मैं अपनी चार सख़्त सज़ाएँ उस पर नाज़िल करूँगा। क्योंकि इनसानो-हैवान जंग, काल, वहशी दरिंदों और मोहलक वबा की ज़द में आकर हलाक हो जाएंगे। 22 तो भी चंद एक बचेंगे, कुछ बेटे-बेटियाँ जिलावतन होकर बाबल में तुम्हारे पास आएँगे। जब तुम उनका बुरा चाल-चलन और हरकतें देखोगे तो तुम्हें तसल्ली मिलेगी कि हर आफ़त मुनासिब थी जो मैं यरूशलम पर लाया। 23 उनका चाल-चलन और हरकतें देखकर तुम्हें तसल्ली मिलेगी, क्योंकि तुम जान लोगे कि जो कुछ भी मैंने यरूशलम के साथ किया वह बिलावजह नहीं था। यह रब क़ादिरे-मुतलक़ का फ़रमान है।”
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