6 अगले दिन रब ने ऐसा ही किया। मिसर के तमाम मवेशी मर गए, लेकिन इसराईलियों का एक भी जानवर न मरा। 7 फ़िरौन ने कुछ लोगों को उनके पास भेज दिया तो पता चला कि एक भी जानवर नहीं मरा। ताहम फ़िरौन अड़ा रहा। उसने इसराईलियों को जाने न दिया।
10 मूसा और हारून ने ऐसा ही किया। वह किसी भट्टी से राख लेकर फ़िरौन के सामने खड़े हो गए। मूसा ने राख को हवा में उड़ा दिया तो इनसानों और जानवरों के जिस्मों पर फोड़े-फुंसियाँ निकल आए। 11 इस मरतबा जादूगर मूसा के सामने खड़े भी न हो सके क्योंकि उनके जिस्मों पर भी फोड़े निकल आए थे। तमाम मिसरियों का यही हाल था। 12 लेकिन रब ने फ़िरौन को ज़िद्दी बनाए रखा, इसलिए उसने मूसा और हारून की न सुनी। यों वैसा ही हुआ जैसा रब ने मूसा को बताया था।
20 फ़िरौन के कुछ ओहदेदार रब का पैग़ाम सुनकर डर गए और भागकर अपने जानवरों और ग़ुलामों को घरों में ले आए। 21 लेकिन दूसरों ने रब के पैग़ाम की परवा न की। उनके जानवर और ग़ुलाम बाहर खुले मैदान में रहे।
22 रब ने मूसा से कहा, “अपना हाथ आसमान की तरफ़ बढ़ा दे। फिर मिसर के तमाम इनसानों, जानवरों और खेतों के पौदों पर ओले पड़ेंगे।” 23 मूसा ने अपनी लाठी आसमान की तरफ़ उठाई तो रब ने एक ज़बरदस्त तूफ़ान भेज दिया। ओले पड़े, बिजली गिरी और बादल गरजते रहे। 24 ओले पड़ते रहे और बिजली चमकती रही। मिसरी क़ौम की इब्तिदा से लेकर अब तक ऐसे ख़तरनाक ओले कभी नहीं पड़े थे। 25 इनसानों से लेकर हैवानों तक खेतों में सब कुछ बरबाद हो गया। ओलों ने खेतों में तमाम पौदे और दरख़्त भी तोड़ दिए। 26 वह सिर्फ़ जुशन के इलाक़े में न पड़े जहाँ इसराईली आबाद थे।
27 तब फ़िरौन ने मूसा और हारून को बुलाया। उसने कहा, “इस मरतबा मैंने गुनाह किया है। रब हक़ पर है। मुझसे और मेरी क़ौम से ग़लती हुई है। 28 ओले और अल्लाह की गरजती आवाज़ें हद से ज़्यादा हैं। रब से दुआ करो ताकि ओले रुक जाएँ। अब मैं तुम्हें जाने दूँगा। अब से तुम्हें यहाँ रहना नहीं पड़ेगा।”
29 मूसा ने फ़िरौन से कहा, “मैं शहर से निकलकर दोनों हाथ रब की तरफ़ उठाकर दुआ करूँगा। फिर गरज और ओले रुक जाएंगे और आप जान लेंगे कि पूरी दुनिया रब की है। 30 लेकिन मैं जानता हूँ कि आप और आपके ओहदेदार अभी तक रब ख़ुदा का ख़ौफ़ नहीं मानते।”
31 उस वक़्त सन के फूल निकल चुके थे और जौ की बालें लग गई थीं। इसलिए यह फ़सलें तबाह हो गईं। 32 लेकिन गेहूँ और एक और क़िस्म की गंदुम जो बाद में पकती है बरबाद न हुई।
33 मूसा फ़िरौन को छोड़कर शहर से निकला। उसने रब की तरफ़ अपने हाथ उठाए तो गरज, ओले और बारिश का तूफ़ान रुक गया। 34 जब फ़िरौन ने देखा कि तूफ़ान ख़त्म हो गया है तो वह और उसके ओहदेदार दुबारा गुनाह करके अकड़ गए। 35 फ़िरौन अड़ा रहा और इसराईलियों को जाने न दिया। वैसा ही हुआ जैसा रब ने मूसा से कहा था।
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