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1 लेकिन रब ने कहा, “देख, मेरे कहने पर तू फ़िरौन के लिए अल्लाह की हैसियत रखेगा और तेरा भाई हारून तेरा पैग़ंबर होगा। 2 जो भी हुक्म मैं तुझे दूँगा उसे तू हारून को बता दे। फिर वह सब कुछ फ़िरौन को बताए ताकि वह इसराईलियों को अपने मुल्क से जाने दे। 3 लेकिन मैं फ़िरौन को अड़ जाने दूँगा। अगरचे मैं मिसर में बहुत-से निशानों और मोजिज़ों से अपनी क़ुदरत का मुज़ाहरा करूँगा 4 तो भी फ़िरौन तुम्हारी नहीं सुनेगा। तब मिसरियों पर मेरा हाथ भारी हो जाएगा, और मैं उनको सख़्त सज़ा देकर अपनी क़ौम इसराईल को ख़ानदानों की तरतीब के मुताबिक़ मिसर से निकाल लाऊँगा। 5 जब मैं मिसर के ख़िलाफ़ अपनी क़ुदरत का इज़हार करके इसराईलियों को वहाँ से निकालूँगा तो मिसरी जान लेंगे कि मैं रब हूँ।”

6 मूसा और हारून ने सब कुछ वैसा ही किया जैसा रब ने उन्हें हुक्म दिया। 7 फ़िरौन से बात करते वक़्त मूसा 80 साल का और हारून 83 साल का था।

मूसा की लाठी साँप बन जाती है
8 रब ने मूसा और हारून से कहा, 9 “जब फ़िरौन तुम्हें मोजिज़ा दिखाने को कहेगा तो मूसा हारून से कहे कि अपनी लाठी ज़मीन पर डाल दे। इस पर वह साँप बन जाएगी।”

10 मूसा और हारून ने फ़िरौन के पास जाकर ऐसा ही किया। हारून ने अपनी लाठी फ़िरौन और उसके ओहदेदारों के सामने डाल दी तो वह साँप बन गई। 11 यह देखकर फ़िरौन ने अपने आलिमों और जादूगरों को बुलाया। जादूगरों ने भी अपने जादू से ऐसा ही किया। 12 हर एक ने अपनी लाठी ज़मीन पर फेंकी तो वह साँप बन गई। लेकिन हारून की लाठी ने उनकी लाठियों को निगल लिया।

13 ताहम फ़िरौन इससे मुतअस्सिर न हुआ। उसने मूसा और हारून की बात सुनने से इनकार किया। वैसा ही हुआ जैसा रब ने कहा था।

पानी ख़ून में बदल जाता है
14 फिर रब ने मूसा से कहा, “फ़िरौन अड़ गया है। वह मेरी क़ौम को मिसर छोड़ने से रोकता है। 15 कल सुबह-सवेरे जब वह दरियाए-नील पर आएगा तो उससे मिलने के लिए दरिया के किनारे पर खड़े हो जाना। उस लाठी को थामे रखना जो साँप बन गई थी। 16 जब वह वहाँ पहुँचे तो उससे कहना, ‘रब इबरानियों के ख़ुदा ने मुझे आपको यह बताने के लिए भेजा है कि मेरी क़ौम को मेरी इबादत करने के लिए रेगिस्तान में जाने दे। लेकिन आपने अभी तक उस की नहीं सुनी। 17 चुनाँचे अब आप जान लेंगे कि वह रब है। मैं इस लाठी को जो मेरे हाथ में है लेकर दरियाए-नील के पानी को मारूँगा। फिर वह ख़ून में बदल जाएगा। 18 दरियाए-नील की मछलियाँ मर जाएँगी, दरिया से बदबू उठेगी और मिसरी दरिया का पानी नहीं पी सकेंगे’।”

19 रब ने मूसा से कहा, “हारून को बता देना कि वह अपनी लाठी लेकर अपना हाथ उन तमाम जगहों की तरफ़ बढ़ाए जहाँ पानी जमा होता है। तब मिसर की तमाम नदियों, नहरों, जोहड़ों और तालाबों का पानी ख़ून में बदल जाएगा। पूरे मुल्क में ख़ून ही ख़ून होगा, यहाँ तक कि लकड़ी और पत्थर के बरतनों का पानी भी ख़ून में बदल जाएगा।”

20 चुनाँचे मूसा और हारून ने फ़िरौन और उसके ओहदेदारों के सामने अपनी लाठी उठाकर दरियाए-नील के पानी पर मारी। इस पर दरिया का सारा पानी ख़ून में बदल गया। 21 दरिया की मछलियाँ मर गईं, और उससे इतनी बदबू उठने लगी कि मिसरी उसका पानी न पी सके। मिसर में चारों तरफ़ ख़ून ही ख़ून था।

22 लेकिन जादूगरों ने भी अपने जादू के ज़रीए ऐसा ही किया। इसलिए फ़िरौन अड़ गया और मूसा और हारून की बात न मानी। वैसा ही हुआ जैसा रब ने कहा था। 23 फ़िरौन पलटकर अपने घर वापस चला गया। उसे उस की परवा नहीं थी जो मूसा और हारून ने किया था। 24 लेकिन मिसरी दरिया से पानी न पी सके, और उन्होंने पीने का पानी हासिल करने के लिए दरिया के किनारे किनारे गढ़े खोदे। 25 पानी के बदल जाने के बाद सात दिन गुज़र गए।

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