Link to home pageLanguagesLink to all Bible versions on this site
3
पौलुस की ग़ैरयहूदियों में ख़िदमत
1 इस वजह से मैं पौलुस जो आप ग़ैरयहूदियों की ख़ातिर मसीह ईसा का क़ैदी हूँ अल्लाह से दुआ करता हूँ। 2 आपने तो सुन लिया है कि मुझे आपमें अल्लाह के फ़ज़ल का इंतज़ाम चलाने [a] की ख़ास ज़िम्मादारी दी गई है। 3 जिस तरह मैंने पहले ही मुख़तसर तौर पर लिखा है, अल्लाह ने ख़ुद मुझ पर यह राज़ ज़ाहिर कर दिया। 4 जब आप वह पढ़ेंगे जो मैंने लिखा तो आप जान लेंगे कि मुझे मसीह के राज़ के बारे में क्या क्या समझ आई है। 5 गुज़रे ज़मानों में अल्लाह ने यह बात ज़ाहिर नहीं की, लेकिन अब उसने इसे रूहुल-क़ुद्स के ज़रीए अपने मुक़द्दस रसूलों और नबियों पर ज़ाहिर कर दिया। 6 और अल्लाह का राज़ यह है कि उस की ख़ुशख़बरी के ज़रीए ग़ैरयहूदी इसराईल के साथ आसमानी बादशाही के वारिस, एक ही बदन के आज़ा और उसी वादे में शरीक हैं जो अल्लाह ने मसीह ईसा में किया है।

7 मैं अल्लाह के मुफ़्त फ़ज़ल और उस की क़ुदरत के इज़हार से ख़ुशख़बरी का ख़ादिम बन गया। 8 अगरचे मैं अल्लाह के तमाम मुक़द्दसीन से कमतर हूँ तो भी उसने मुझे यह फ़ज़ल बख़्शा कि मैं ग़ैरयहूदियों को उस लामहदूद दौलत की ख़ुशख़बरी सुनाऊँ जो मसीह में दस्तयाब है। 9 यही मेरी ज़िम्मादारी बन गई कि मैं सब पर उस राज़ का इंतज़ाम ज़ाहिर करूँ जो गुज़रे ज़मानों में सब चीज़ों के ख़ालिक़ ख़ुदा में पोशीदा रहा। 10 क्योंकि अल्लाह चाहता था कि अब मसीह की जमात ही आसमानी हुक्मरानों और कुव्वतों को अल्लाह की वसी हिकमत के बारे में इल्म पहुँचाए। 11 यही उसका अज़ली मनसूबा था जो उसने हमारे ख़ुदावंद मसीह ईसा के वसीले से तकमील तक पहुँचाया। 12 उसमें और उस पर ईमान रखकर हम पूरी आज़ादी और एतमाद के साथ अल्लाह के हुज़ूर आ सकते हैं। 13 इसलिए मेरी आपसे गुज़ारिश है कि आप मेरी मुसीबतें देखकर बेदिल न हो जाएँ। यह मैं आपकी ख़ातिर बरदाश्त कर रहा हूँ, और यह आपकी इज़्ज़त का बाइस हैं।

मसीह की मुहब्बत
14 इस वजह से मैं बाप के हुज़ूर अपने घुटने टेकता हूँ, 15 उस बाप के सामने जिससे आसमानो-ज़मीन का हर ख़ानदान नामज़द है। 16 मेरी दुआ है कि वह अपने जलाल की दौलत के मुवाफ़िक़ यह बख़्शे कि आप उसके रूह के वसीले से बातिनी तौर पर ज़बरदस्त तक़वियत पाएँ, 17 कि मसीह ईमान के ज़रीए आपके दिलों में सुकूनत करे। हाँ, मेरी दुआ है कि आप मुहब्बत में जड़ पकड़ें और इस बुनियाद पर ज़िंदगी यों गुज़ारें 18 कि आप बाक़ी तमाम मुक़द्दसीन के साथ यह समझने के क़ाबिल बन जाएँ कि मसीह की मुहब्बत कितनी चौड़ी, कितनी लंबी, कितनी ऊँची और कितनी गहरी है। 19 ख़ुदा करे कि आप मसीह की यह मुहब्बत जान लें जो हर इल्म से कहीं अफ़ज़ल है और यों अल्लाह की पूरी मामूरी से भर जाएँ।

20 अल्लाह की तमजीद हो जो अपनी उस क़ुदरत के मुवाफ़िक़ जो हममें काम कर रही है ऐसा ज़बरदस्त काम कर सकता है जो हमारी हर सोच और दुआ से कहीं बाहर है। 21 हाँ, मसीह ईसा और उस की जमात में अल्लाह की तमजीद पुश्त-दर-पुश्त और अज़ल से अबद तक होती रहे। आमीन।

<- इफ़िसियों 2इफ़िसियों 4 ->