Link to home pageLanguagesLink to all Bible versions on this site
6
सबसे बड़ा हुक्म
1 यह वह तमाम अहकाम हैं जो रब तुम्हारे ख़ुदा ने मुझे तुम्हें सिखाने के लिए कहा। उस मुल्क में इन पर अमल करना जिसमें तुम जानेवाले हो ताकि उस पर क़ब्ज़ा करो। 2 उम्र-भर तू, तेरे बच्चे और पोते-नवासे रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानें और उसके उन तमाम अहकाम पर चलें जो मैं तुझे दे रहा हूँ। तब तू देर तक जीता रहेगा। 3 ऐ इसराईल, यह मेरी बातें सुन और बड़ी एहतियात से इन पर अमल कर! फिर रब तेरे ख़ुदा का वादा पूरा हो जाएगा कि तू कामयाब रहेगा और तेरी तादाद उस मुल्क में ख़ूब बढ़ती जाएगी जिसमें दूध और शहद की कसरत है।

4 सुन ऐ इसराईल! रब हमारा ख़ुदा एक ही रब है। 5 रब अपने ख़ुदा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपनी पूरी ताक़त से प्यार करना। 6 जो अहकाम मैं तुझे आज बता रहा हूँ उन्हें अपने दिल पर नक़्श कर। 7 उन्हें अपने बच्चों के ज़हननशीन करा। यही बातें हर वक़्त और हर जगह तेरे लबों पर हों ख़ाह तू घर में बैठा या रास्ते पर चलता हो, लेटा हो या खड़ा हो। 8 उन्हें निशान के तौर पर और याददिहानी के लिए अपने बाज़ुओं और माथे पर लगा। 9 उन्हें अपने घरों की चौखटों और अपने शहरों के दरवाज़ों पर लिख।

10 रब तेरे ख़ुदा का वादा पूरा होगा जो उसने क़सम खाकर तेरे बापदादा इब्राहीम, इसहाक़ और याक़ूब के साथ किया कि मैं तुझे कनान में ले जाऊँगा। जो बड़े और शानदार शहर उसमें हैं वह तूने ख़ुद नहीं बनाए। 11 जो मकान उसमें हैं वह ऐसी अच्छी चीज़ों से भरे हुए हैं जो तूने उनमें नहीं रखीं। जो कुएँ उसमें हैं उनको तूने नहीं खोदा। जो अंगूर और ज़ैतून के बाग़ उसमें हैं उन्हें तूने नहीं लगाया। यह हक़ीक़त याद रख। जब तू उस मुल्क में कसरत का खाना खाकर सेर हो जाएगा 12 तो ख़बरदार! रब को न भूलना जो तुझे मिसर की ग़ुलामी से निकाल लाया।

13 रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानना। सिर्फ़ उसी की इबादत करना और उसी का नाम लेकर क़सम खाना। 14 दीगर माबूदों की पैरवी न करना। इसमें तमाम पड़ोसी अक़वाम के देवता भी शामिल हैं। 15 वरना रब तेरे ख़ुदा का ग़ज़ब तुझ पर नाज़िल होकर तुझे मुल्क में से मिटा डालेगा। क्योंकि वह ग़यूर ख़ुदा है और तेरे दरमियान ही रहता है।

16 रब अपने ख़ुदा को उस तरह न आज़माना जिस तरह तुमने मस्सा में किया था। 17 ध्यान से रब अपने ख़ुदा के अहकाम के मुताबिक़ चलो, उन तमाम हिदायात और क़वानीन पर जो उसने तुझे दिए हैं। 18 जो कुछ रब की नज़र में दुरुस्त और अच्छा है वह कर। फिर तू कामयाब रहेगा, तू जाकर उस अच्छे मुल्क पर क़ब्ज़ा करेगा जिसका वादा रब ने तेरे बापदादा से क़सम खाकर किया था। 19 तब रब की बात पूरी हो जाएगी कि तू अपने दुश्मनों को अपने आगे आगे निकाल देगा।

20 आनेवाले दिनों में तेरे बच्चे पूछेंगे, “रब हमारे ख़ुदा ने आपको इन तमाम अहकाम पर अमल करने को क्यों कहा?” 21 फिर उन्हें जवाब देना, “हम मिसर के बादशाह फ़िरौन के ग़ुलाम थे, लेकिन रब हमें बड़ी क़ुदरत का इज़हार करके मिसर से निकाल लाया। 22 हमारे देखते देखते उसने बड़े बड़े निशान और मोजिज़े किए और मिसर, फ़िरौन और उसके पूरे घराने पर हौलनाक मुसीबतें भेजीं। 23 उस वक़्त वह हमें वहाँ से निकाल लाया ताकि हमें लेकर वह मुल्क दे जिसका वादा उसने क़सम खाकर हमारे बापदादा के साथ किया था। 24 रब हमारे ख़ुदा ही ने हमें कहा कि इन तमाम अहकाम के मुताबिक़ चलो और रब अपने ख़ुदा का ख़ौफ़ मानो। क्योंकि अगर हम ऐसा करें तो फिर हम हमेशा कामयाब और ज़िंदा रहेंगे। और आज तक ऐसा ही रहा है। 25 अगर हम रब अपने ख़ुदा के हुज़ूर रहकर एहतियात से उन तमाम बातों पर अमल करेंगे जो उसने हमें करने को कही हैं तो वह हमें रास्तबाज़ क़रार देगा।”

<- इस्तिसना 5इस्तिसना 7 ->