6 रब फ़रमाता है, “मैंने काल पड़ने दिया। हर शहर और आबादी में रोटी ख़त्म हुई। तो भी तुम मेरे पास वापस नहीं आए! 7 अभी फ़सल के पकने तक तीन माह बाक़ी थे कि मैंने तुम्हारे मुल्क में बारिशों को रोक दिया। मैंने होने दिया कि एक शहर में बारिश हुई जबकि साथवाला शहर उससे महरूम रहा, एक खेत बारिश से सेराब हुआ जबकि दूसरा झुलस गया। 8 जिस शहर में थोड़ा-बहुत पानी बाक़ी था वहाँ दीगर कई शहरों के बाशिंदे लड़खड़ाते हुए पहुँचे, लेकिन उनके लिए काफ़ी नहीं था। तो भी तुम मेरे पास वापस न आए!” यह रब का फ़रमान है।
9 रब फ़रमाता है, “मैंने तुम्हारी फ़सलों को पतरोग और फफूँदी से तबाह कर दिया। जो भी तुम्हारे मुतअद्दिद अंगूर, अंजीर, ज़ैतून और बाक़ी फल के बाग़ों में उगता था उसे टिड्डियाँ खा गईं। तो भी तुम मेरे पास वापस न आए!”
10 रब फ़रमाता है, “मैंने तुम्हारे दरमियान ऐसी मोहलक बीमारी फैला दी जैसी क़दीम ज़माने में मिसर में फैल गई थी। तुम्हारे नौजवानों को मैंने तलवार से मार डाला, तुम्हारे घोड़े तुमसे छीन लिए गए। तुम्हारी लशकरगाहों में लाशों का ताफ़्फ़ुन इतना फैल गया कि तुम बहुत तंग हुए। तो भी तुम मेरे पास वापस न आए।”
11 रब फ़रमाता है, “मैंने तुम्हारे दरमियान ऐसी तबाही मचाई जैसी उस दिन हुई जब मैंने सदूम और अमूरा को तबाह किया।
13 क्योंकि अल्लाह ही पहाड़ों को तश्कील देता, हवा को ख़लक़ करता और अपने ख़यालात को इनसान पर ज़ाहिर करता है। वही तड़का और अंधेरा पैदा करता और वही ज़मीन की बुलंदियों पर चलता है। उसका नाम ‘रब, लशकरों का ख़ुदा’ है।
<- आमूस 3आमूस 5 ->- a लफ़्ज़ी तरजुमा : ‘बसन की गायो।’ बसन एक पहाड़ी इलाक़ा था जिसके मवेशी मशहूर थे।