1 ऐ इसराईलियो, वह कलाम सुनो जो रब तुम्हारे ख़िलाफ़ फ़रमाता है, उस पूरी क़ौम के ख़िलाफ़ जिसे मैं मिसर से निकाल लाया था। 2 “दुनिया की तमाम क़ौमों में से मैंने सिर्फ़ तुम्हीं को जान लिया, इसलिए मैं तुम्हीं को तुम्हारे तमाम गुनाहों की सज़ा दूँगा।”
7 यक़ीनन जो भी मनसूबा रब क़ादिरे-मुतलक़ बाँधे उस पर अमल करने से पहले वह उसे अपने ख़ादिमों यानी नबियों पर ज़ाहिर करता है।
8 शेरबबर दहाड़ उठा है तो कौन है जो डर न जाए? रब क़ादिरे-मुतलक़ बोल उठा है तो कौन है जो नबुव्वत न करे?
11 चुनाँचे रब क़ादिरे-मुतलक़ फ़रमाता है, “दुश्मन मुल्क को घेरकर तेरी क़िलाबंदियों को ढा देगा और तेरे महलों को लूट लेगा।” 12 रब फ़रमाता है, “अगर चरवाहा अपनी भेड़ को शेरबबर के मुँह से निकालने की कोशिश करे तो शायद दो पिंडलियाँ या कान का टुकड़ा बच जाए। सामरिया के इसराईली भी इसी तरह ही बच जाएंगे, ख़ाह वह इस वक़्त अपने शानदार सोफ़ों और ख़ूबसूरत गद्दियों पर आराम क्यों न करें।”
13 रब क़ादिरे-मुतलक़ जो आसमानी लशकरों का ख़ुदा है फ़रमाता है, “सुनो, याक़ूब के घराने के ख़िलाफ़ गवाही दो! 14 जिस दिन मैं इसराईल को उसके गुनाहों की सज़ा दूँगा उस दिन मैं बैतेल की क़ुरबानगाहों को मिसमार करूँगा। तब क़ुरबानगाह के कोनों पर लगे सींग टूटकर ज़मीन पर गिर जाएंगे। 15 मैं सर्दियों और गरमियों के मौसम के लिए तामीर किए गए घरों को ढा दूँगा। हाथीदाँत से आरास्ता इमारतें ख़ाक में मिलाई जाएँगी, और जहाँ इस वक़्त मुतअद्दिद मकान नज़र आते हैं वहाँ कुछ नहीं रहेगा।” यह रब का फ़रमान है।
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