1 “भाइयो और बुज़ुर्गो, मेरी बात सुनें कि मैं अपने दिफ़ा में कुछ बताऊँ।” 2 जब उन्होंने सुना कि वह अरामी ज़बान में बोल रहा है तो वह मज़ीद ख़ामोश हो गए। पौलुस ने अपनी बात जारी रखी।
3 “मैं यहूदी हूँ और किलिकिया के शहर तरसुस में पैदा हुआ। लेकिन मैंने इसी शहर यरूशलम में परवरिश पाई और जमलियेल के ज़ेरे-निगरानी तालीम हासिल की। उन्होंने मुझे तफ़सील और एहतियात से हमारे बापदादा की शरीअत सिखाई। उस वक़्त मैं भी आपकी तरह अल्लाह के लिए सरगरम था। 4 इसलिए मैंने इस नई राह के पैरोकारों का पीछा किया और मर्दों और ख़वातीन को गिरिफ़्तार करके जेल में डलवा दिया यहाँ तक कि मरवा भी दिया। 5 इमामे-आज़म और यहूदी अदालते-आलिया के मेंबरान इस बात की तसदीक़ कर सकते हैं। उन्हीं से मुझे दमिश्क़ में रहनेवाले यहूदी भाइयों के लिए सिफ़ारिशी ख़त मिल गए ताकि मैं वहाँ भी जाकर इस नए फ़िरक़े के लोगों को गिरिफ़्तार करके सज़ा देने के लिए यरूशलम लाऊँ।
12 वहाँ एक आदमी रहता था जिसका नाम हननियाह था। वह शरीअत का कटर पैरोकार था और वहाँ के रहनेवाले यहूदियों में नेकनाम। 13 वह आया और मेरे पास खड़े होकर कहा, ‘साऊल भाई, दुबारा बीना हो जाएँ!’ उसी लमहे मैं उसे देख सका। 14 फिर उसने कहा, ‘हमारे बापदादा के ख़ुदा ने आपको इस मक़सद के लिए चुन लिया है कि आप उस की मरज़ी जानकर उसके रास्त ख़ादिम को देखें और उसके अपने मुँह से उस की आवाज़ सुनें। 15 जो कुछ आपने देख और सुन लिया है उस की गवाही आप तमाम लोगों को देंगे। 16 चुनाँचे आप क्यों देर कर रहे हैं? उठें और उसके नाम में बपतिस्मा लें ताकि आपके गुनाह धुल जाएँ।’
22 यहाँ तक हुजूम पौलुस की बातें सुनता रहा। लेकिन अब वह चिल्ला उठे, “इसे हटा दो! इसे जान से मार दो! यह ज़िंदा रहने के लायक़ नहीं!” 23 वह चीख़ें मार मारकर अपनी चादरें उतारने और हवा में गर्द उड़ाने लगे। 24 इस पर कमाँडर ने हुक्म दिया कि पौलुस को क़िले में ले जाया जाए और कोड़े लगाकर उस की पूछ-गछ की जाए। क्योंकि वह मालूम करना चाहता था कि लोग किस वजह से पौलुस के ख़िलाफ़ यों चीख़ें मार रहे हैं। 25 जब वह उसे कोड़े लगाने के लिए लेकर जा रहे थे तो पौलुस ने साथ खड़े अफ़सर [a] से कहा, “क्या आपके लिए जायज़ है कि एक रोमी शहरी के कोड़े लगवाएँ और वह भी अदालत में पेश किए बग़ैर?”
26 अफ़सर ने जब यह सुना तो कमाँडर के पास जाकर उसे इत्तला दी, “आप क्या करने को हैं? यह आदमी तो रोमी शहरी है!”
27 कमाँडर पौलुस के पास आया और पूछा, “मुझे सहीह बताएँ, क्या आप रोमी शहरी हैं?”
28 कमाँडर ने कहा, “मैं तो बड़ी रक़म देकर शहरी बना हूँ।”
29 यह सुनते ही वह फ़ौजी जो उस की पूछ-गछ करने को थे पीछे हट गए। कमाँडर ख़ुद घबरा गया कि मैंने एक रोमी शहरी को ज़ंजीरों में जकड़ रखा है।
- a सौ सिपाहियों पर मुक़र्रर अफ़सर।