3 इस पर उन्होंने मज़ीद रोज़े रखे और दुआ की, फिर उन पर अपने हाथ रखकर उन्हें रुख़सत कर दिया।
6 पूरे जज़ीरे में से सफ़र करते करते वह पाफ़ुस शहर तक पहुँच गए। वहाँ उनकी मुलाक़ात एक यहूदी जादूगर से हुई जिसका नाम बर-ईसा था। वह झूटा नबी था 7 और जज़ीरे के गवर्नर सिरगियुस पौलुस की ख़िदमत के लिए हाज़िर रहता था। सिरगियुस एक समझदार आदमी था। उसने बरनबास और साऊल को अपने पास बुला लिया क्योंकि वह अल्लाह का कलाम सुनने का ख़ाहिशमंद था। 8 लेकिन जादूगर इलीमास (बर-ईसा का दूसरा नाम) ने उनकी मुख़ालफ़त करके गवर्नर को ईमान से बाज़ रखने की कोशिश की। 9 फिर साऊल जो पौलुस भी कहलाता है रूहुल-क़ुद्स से मामूर हुआ और ग़ौर से उस की तरफ़ देखने लगा। 10 उसने कहा, “इबलीस के फ़रज़ंद! तू हर क़िस्म के धोके और बदी से भरा हुआ है और हर इनसाफ़ का दुश्मन है। क्या तू ख़ुदावंद की सीधी राहों को बिगाड़ने की कोशिश से बाज़ न आएगा? 11 अब ख़ुदावंद तुझे सज़ा देगा। तू अंधा होकर कुछ देर के लिए सूरज की रौशनी नहीं देखेगा।”
26 भाइयो, इब्राहीम के फ़रज़ंदो और ख़ुदा का ख़ौफ़ माननेवाले ग़ैरयहूदियो! नजात का पैग़ाम हमें ही भेज दिया गया है। 27 यरूशलम के रहनेवालों और उनके राहनुमाओं ने ईसा को न पहचाना बल्कि उसे मुजरिम ठहराया। यों उनकी मारिफ़त नबियों की वह पेशगोइयाँ पूरी हुईं जिनकी तिलावत हर सबत को की जाती है। 28 और अगरचे उन्हें सज़ाए-मौत देने की वजह न मिली तो भी उन्होंने पीलातुस से गुज़ारिश की कि वह उसे सज़ाए-मौत दे। 29 जब उनकी मारिफ़त ईसा के बारे में तमाम पेशगोइयाँ पूरी हुईं तो उन्होंने उसे सलीब से उतारकर क़ब्र में रख दिया। 30 लेकिन अल्लाह ने उसे मुरदों में से ज़िंदा कर दिया 31 और वह बहुत दिनों तक अपने उन पैरोकारों पर ज़ाहिर होता रहा जो उसके साथ गलील से यरूशलम आए थे। यह अब हमारी क़ौम के सामने उसके गवाह हैं। 32 और अब हम आपको यह ख़ुशख़बरी सुनाने आए हैं कि जो वादा अल्लाह ने हमारे बापदादा के साथ किया, 33 उसे उसने ईसा को ज़िंदा करके हमारे लिए जो उनकी औलाद हैं पूरा कर दिया है। यों दूसरे ज़बूर में लिखा है, ‘तू मेरा फ़रज़ंद है, आज मैं तेरा बाप बन गया हूँ।’ 34 इस हक़ीक़त का ज़िक्र भी कलामे-मुक़द्दस में किया गया है कि अल्लाह उसे मुरदों में से ज़िंदा करके कभी गलने-सड़ने नहीं देगा : ‘मैं तुम्हें उन मुक़द्दस और अनमिट मेहरबानियों से नवाज़ूँगा जिनका वादा दाऊद से किया था।’ 35 यह बात एक और हवाले में पेश की गई है, ‘तू अपने मुक़द्दस को गलने-सड़ने की नौबत तक पहुँचने नहीं देगा।’ 36 इस हवाले का ताल्लुक़ दाऊद के साथ नहीं है, क्योंकि दाऊद अपने ज़माने में अल्लाह की मरज़ी की ख़िदमत करने के बाद फ़ौत होकर अपने बापदादा से जा मिला। उस की लाश गलकर ख़त्म हो गई। 37 बल्कि यह हवाला किसी और का ज़िक्र करता है, उसका जिसे अल्लाह ने ज़िंदा कर दिया और जिसका जिस्म गलने-सड़ने से दोचार न हुआ। 38 भाइयो, अब मेरी यह बात जान लें, हम इसकी मुनादी करने आए हैं कि आपको इस शख़्स ईसा के वसीले से अपने गुनाहों की मुआफ़ी मिलती है। मूसा की शरीअत आपको किसी तरह भी रास्तबाज़ क़रार नहीं दे सकती थी, 39 लेकिन अब जो भी ईसा पर ईमान लाए उसे हर लिहाज़ से रास्तबाज़ क़रार दिया जाता है। 40 इसलिए ख़बरदार! ऐसा न हो कि वह बात आप पर पूरी उतरे जो नबियों के सहीफ़ों में लिखी है,
41 ‘ग़ौर करो, मज़ाक़ उड़ानेवालो!
42 जब पौलुस और बरनबास इबादतख़ाने से निकलने लगे तो लोगों ने उनसे गुज़ारिश की, “अगले सबत हमें इन बातों के बारे में मज़ीद कुछ बताएँ।” 43 इबादत के बाद बहुत-से यहूदी और यहूदी ईमान के नौमुरीद पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए, और दोनों ने उनसे बात करके उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई की कि अल्लाह के फ़ज़ल पर क़ायम रहें।
44 अगले सबत के दिन तक़रीबन तमाम शहर ख़ुदावंद का कलाम सुनने को जमा हुआ। 45 लेकिन जब यहूदियों ने हुजूम को देखा तो वह हसद से जल गए और पौलुस की बातों की तरदीद करके कुफ़र बकने लगे। 46 इस पर पौलुस और बरनबास ने उनसे साफ़ साफ़ कह दिया, “लाज़िम था कि अल्लाह का कलाम पहले आपको सुनाया जाए। लेकिन चूँकि आप उसे मुस्तरद करके अपने आपको अबदी ज़िंदगी के लायक़ नहीं समझते इसलिए हम अब ग़ैरयहूदियों की तरफ़ रुख़ करते हैं। 47 क्योंकि ख़ुदावंद ने हमें यही हुक्म दिया जब उसने फ़रमाया, ‘मैंने तुझे दीगर अक़वाम की रौशनी बना दी है ताकि तू मेरी नजात को दुनिया की इंतहा तक पहुँचाए’।”
48 यह सुनकर ग़ैरयहूदी ख़ुश हुए और ख़ुदावंद के कलाम की तमजीद करने लगे। और जितने अबदी ज़िंदगी के लिए मुक़र्रर किए गए थे वह ईमान लाए।
49 यों ख़ुदावंद का कलाम पूरे इलाक़े में फैल गया। 50 फिर यहूदियों ने शहर के लीडरों और यहूदी ईमान रखनेवाली कुछ बारसूख ग़ैरयहूदी ख़वातीन को उकसाकर लोगों को पौलुस और बरनबास को सताने पर उभारा। आख़िरकार उन्हें शहर की सरहद्दों से निकाल दिया गया। 51 इस पर वह उनके ख़िलाफ़ गवाही के तौर पर अपने जूतों से गर्द झाड़कर आगे बढ़े और इकुनियुम शहर पहुँच गए। 52 और अंताकिया के शागिर्द ख़ुशी और रूहुल-क़ुद्स से भरे रहे।
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