5 “मैं याफ़ा शहर में दुआ कर रहा था कि वज्द की हालत में आकर रोया देखी। आसमान से एक चीज़ ज़मीन पर उतर रही है, कतान की बड़ी चादर जैसी जो अपने चारों कोनों से उतारी जा रही है। उतरती उतरती वह मुझ तक पहुँच गई। 6 जब मैंने ग़ौर से देखा तो पता चला कि उसमें तमाम क़िस्म के जानवर हैं : चार पाँववाले, रेंगनेवाले और परिंदे। 7 फिर एक आवाज़ मुझसे मुख़ातिब हुई, ‘पतरस, उठ! कुछ ज़बह करके खा!’ 8 मैंने एतराज़ किया, ‘हरगिज़ नहीं, ख़ुदावंद, मैंने कभी भी हराम या नापाक खाना नहीं खाया।’ 9 लेकिन यह आवाज़ दुबारा मुझसे हमकलाम हुई, ‘जो कुछ अल्लाह ने पाक कर दिया है उसे नापाक क़रार न दे।’ 10 तीन मरतबा ऐसा हुआ, फिर चादर को जानवरों समेत वापस आसमान पर उठा लिया गया। 11 उसी वक़्त तीन आदमी उस घर के सामने रुक गए जहाँ मैं ठहरा हुआ था। उन्हें क़ैसरिया से मेरे पास भेजा गया था। 12 रूहुल-क़ुद्स ने मुझे बताया कि मैं बग़ैर झिजके उनके साथ चला जाऊँ। यह मेरे छः भाई भी मेरे साथ गए। हम रवाना होकर उस आदमी के घर में दाख़िल हुए जिसने मुझे बुलाया था। 13 उसने हमें बताया कि एक फ़रिश्ता घर में उस पर ज़ाहिर हुआ था जिसने उसे कहा था, ‘किसी को याफ़ा भेजकर शमौन को बुला लो जो पतरस कहलाता है। 14 उसके पास वह पैग़ाम है जिसके ज़रीए तुम अपने पूरे घराने समेत नजात पाओगे।’ 15 जब मैं वहाँ बोलने लगा तो रूहुल-क़ुद्स उन पर नाज़िल हुआ, बिलकुल उसी तरह जिस तरह वह शुरू में हम पर हुआ था। 16 फिर मुझे वह बात याद आई जो ख़ुदावंद ने कही थी, ‘यहया ने तुमको पानी से बपतिस्मा दिया, लेकिन तुम्हें रूहुल-क़ुद्स से बपतिस्मा दिया जाएगा।’ 17 अल्लाह ने उन्हें वही नेमत दी जो उसने हमें भी दी थी जो ख़ुदावंद ईसा मसीह पर ईमान लाए थे। तो फिर मैं कौन था कि अल्लाह को रोकता?”
18 पतरस की यह बातें सुनकर यरूशलम के ईमानदार एतराज़ करने से बाज़ आए और अल्लाह की तमजीद करने लगे। उन्होंने कहा, “तो इसका मतलब है कि अल्लाह ने ग़ैरयहूदियों को भी तौबा करने और अबदी ज़िंदगी पाने का मौक़ा दिया है।”
25 इसके बाद वह साऊल की तलाश में तरसुस चला गया। 26 जब उसे मिला तो वह उसे अंताकिया ले आया। वहाँ वह दोनों एक पूरे साल तक जमात में शामिल होते और बहुत-से लोगों को सिखाते रहे। अंताकिया पहला मक़ाम था जहाँ ईमानदार मसीही कहलाने लगे।
27 उन दिनों कुछ नबी यरूशलम से आकर अंताकिया पहुँच गए। 28 एक का नाम अगबुस था। वह खड़ा हुआ और रूहुल-क़ुद्स की मारिफ़त पेशगोई की कि रोम की पूरी ममलकत में सख़्त काल पड़ेगा। (यह बात उस वक़्त पूरी हुई जब शहनशाह क्लौदियुस की हुकूमत थी।) 29 अगबुस की बात सुनकर अंताकिया के शागिर्दों ने फ़ैसला किया कि हममें से हर एक अपनी माली गुंजाइश के मुताबिक़ कुछ दे ताकि उसे यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की इमदाद के लिए भेजा जा सके। 30 उन्होंने अपने इस हदिये को बरनबास और साऊल के सुपुर्द करके वहाँ के बुज़ुर्गों को भेज दिया।
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