3 मसीह ईसा के अच्छे सिपाही की तरह हमारे साथ दुख उठाते रहें। 4 जिस सिपाही की ड्यूटी है वह आम रिआया के मामलात में फँसने से बाज़ रहता है, क्योंकि वह अपने अफ़सर को पसंद आना चाहता है। 5 इसी तरह खेल के मुक़ाबले में हिस्सा लेनेवाले को सिर्फ़ इस सूरत में इनाम मिल सकता है कि वह क़वायद के मुताबिक़ ही मुक़ाबला करे। 6 और लाज़िम है कि फ़सल की कटाई के वक़्त पहले उसको फ़सल का हिस्सा मिले जिसने खेत में मेहनत की है। 7 उस पर ध्यान देना जो मैं आपको बता रहा हूँ, क्योंकि ख़ुदावंद आपको इन तमाम बातों की समझ अता करेगा।
8 मसीह ईसा को याद रखें, जो दाऊद की औलाद में से है और जिसे मुरदों में से ज़िंदा कर दिया गया। यही मेरी ख़ुशख़बरी है 9 जिसकी ख़ातिर मैं दुख उठा रहा हूँ, यहाँ तक कि मुझे आम मुजरिम की तरह ज़ंजीरों से बाँधा गया है। लेकिन अल्लाह का कलाम ज़ंजीरों से बाँधा नहीं जा सकता। 10 इसलिए मैं सब कुछ अल्लाह के चुने हुए लोगों की ख़ातिर बरदाश्त करता हूँ ताकि वह भी नजात पाएँ—वह नजात जो मसीह ईसा से मिलती है और जो अबदी जलाल का बाइस बनती है। 11 यह क़ौल क़ाबिले-एतमाद है,
12 अगर हम बरदाश्त करते रहें
13 अगर हम बेवफ़ा निकलें
20 बड़े घरों में न सिर्फ़ सोने और चाँदी के बरतन होते हैं बल्कि लकड़ी और मिट्टी के भी। यानी कुछ शरीफ़ कामों के लिए इस्तेमाल होते हैं और कुछ कमक़दर कामों के लिए। 21 अगर कोई अपने आपको इन बुरी चीज़ों से पाक-साफ़ करे तो वह शरीफ़ कामों के लिए इस्तेमाल होनेवाला बरतन होगा। वह मख़सूसो-मुक़द्दस, मालिक के लिए मुफ़ीद और हर नेक काम के लिए तैयार होगा। 22 जवानी की बुरी ख़ाहिशात से भागकर रास्तबाज़ी, ईमान, मुहब्बत और सुलह-सलामती के पीछे लगे रहें। और यह उनके साथ मिलकर करें जो ख़ुलूसदिली से ख़ुदावंद की परस्तिश करते हैं। 23 हमाक़त और जहालत की बहसों से किनारा करें। आप तो जानते हैं कि इनसे सिर्फ़ झगड़े पैदा होते हैं। 24 लाज़िम है कि ख़ुदावंद का ख़ादिम न झगड़े बल्कि हर एक से मेहरबानी का सुलूक करे। वह तालीम देने के क़ाबिल हो और सब्र से ग़लत सुलूक बरदाश्त करे। 25 जो मुख़ालफ़त करते हैं उन्हें वह नरमदिली से तरबियत दे, क्योंकि हो सकता है कि अल्लाह उन्हें तौबा करने की तौफ़ीक़ दे और वह सच्चाई को जान लें, 26 होश में आएँ और इबलीस के फंदे से बच निकलें। क्योंकि इबलीस ने उन्हें क़ैद कर लिया है ताकि वह उस की मरज़ी पूरी करें।
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