4 दाऊद 30 साल की उम्र में बादशाह बन गया। उस की हुकूमत 40 साल तक जारी रही। 5 पहले साढ़े सात साल वह सिर्फ़ यहूदाह का बादशाह था और उसका दारुल-हुकूमत हबरून रहा। बाक़ी 33 साल वह यरूशलम में रहकर यहूदाह और इसराईल दोनों पर हुकूमत करता रहा।
7 तो भी दाऊद ने सिय्यून के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया जो आजकल ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। 8 जिस दिन उन्होंने शहर पर हमला किया उसने एलान किया, “जो भी यबूसियों पर फ़तह पाना चाहे उसे पानी की सुरंग में से गुज़रकर शहर में घुसना पड़ेगा ताकि उन लँगड़ों और अंधों को मारे जिनसे मेरी जान नफ़रत करती है।” इसलिए आज तक कहा जाता है, “लँगड़ों और अंधों को घर में जाने की इजाज़त नहीं।”
9 यरूशलम पर फ़तह पाने के बाद दाऊद क़िले में रहने लगा। उसने उसे ‘दाऊद का शहर’ क़रार दिया और उसके इर्दगिर्द शहर को बढ़ाने लगा। यह तामीरी काम इर्दगिर्द के चबूतरों से शुरू हुआ और होते होते क़िले तक पहुँच गया।
10 यों दाऊद ज़ोर पकड़ता गया, क्योंकि रब्बुल-अफ़वाज उसके साथ था।
13 हबरून से यरूशलम में मुंतक़िल होने के बाद दाऊद ने मज़ीद बीवियों और दाश्ताओं से शादी की। नतीजे में यरूशलम में उसके कई बेटे-बेटियाँ पैदा हुए। 14 जो बेटे वहाँ पैदा हुए वह यह थे : सम्मुअ, सोबाब, नातन, सुलेमान, 15 इबहार, इलीसुअ, नफ़ज, यफ़ीअ, 16 इलीसमा, इलियदा और इलीफ़लत।
18 जब फ़िलिस्ती इसराईल में पहुँचकर वादीए-रफ़ाईम में फैल गए 19 तो दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया, “क्या मैं फ़िलिस्तियों पर हमला करूँ? क्या तू मुझे उन पर फ़तह बख़्शेगा?” रब ने जवाब दिया, “हाँ, उन पर हमला कर! मैं उन्हें ज़रूर तेरे क़ब्ज़े में कर दूँगा।” 20 चुनाँचे दाऊद अपने फ़ौजियों को लेकर बाल-पराज़ीम गया। वहाँ उसने फ़िलिस्तियों को शिकस्त दी। बाद में उसने गवाही दी, “जितने ज़ोर से बंद के टूट जाने पर पानी उससे फूट निकलता है उतने ज़ोर से आज रब मेरे देखते देखते दुश्मन की सफ़ों में से फूट निकला है।” चुनाँचे उस जगह का नाम बाल-पराज़ीम यानी ‘फूट निकलने का मालिक’ पड़ गया। 21 फ़िलिस्ती अपने बुत छोड़कर भाग गए, और वह दाऊद और उसके आदमियों के क़ब्ज़े में आ गए।
22 एक बार फिर फ़िलिस्ती आकर वादीए-रफ़ाईम में फैल गए। 23 जब दाऊद ने रब से दरियाफ़्त किया तो उसने जवाब दिया, “इस मरतबा उनका सामना मत करना बल्कि उनके पीछे जाकर बका के दरख़्तों के सामने उन पर हमला कर। 24 जब उन दरख़्तों की चोटियों से क़दमों की चाप सुनाई दे तो ख़बरदार! यह इसका इशारा होगा कि रब ख़ुद तेरे आगे आगे चलकर फ़िलिस्तियों को मारने के लिए निकल आया है।”
25 दाऊद ने ऐसा ही किया और नतीजे में फ़िलिस्तियों को शिकस्त देकर जिबऊन से लेकर जज़र तक उनका ताक़्क़ुब किया।
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