2 रब के रूह ने मेरी मारिफ़त बात की, उसका फ़रमान मेरी ज़बान पर था।
3 इसराईल के ख़ुदा ने फ़रमाया, इसराईल की चट्टान मुझसे हमकलाम हुई, ‘जो इनसाफ़ से हुकूमत करता है, जो अल्लाह का ख़ौफ़ मानकर हुक्मरानी करता है,
4 वह सुबह की रौशनी की मानिंद है, उस तुलूए-आफ़ताब की मानिंद जब बादल छाए नहीं होते। जब उस की किरणें बारिश के बाद ज़मीन पर पड़ती हैं तो पौदे फूट निकलते हैं।’
5 यक़ीनन मेरा घराना मज़बूती से अल्लाह के साथ है, क्योंकि उसने मेरे साथ अबदी अहद बाँधा है, ऐसा अहद जिसका हर पहलू मुनज़्ज़म और महफ़ूज़ है। वह मेरी नजात तकमील तक पहुँचाएगा और मेरी हर आरज़ू पूरी करेगा।
6 लेकिन बेदीन ख़ारदार झाड़ियों की मानिंद हैं जो हवा के झोंकों से इधर-उधर बिखर गई हैं। काँटों की वजह से कोई भी हाथ नहीं लगाता।
7 लोग उन्हें लोहे के औज़ार या नेज़े के दस्ते से जमा करके वहीं के वहीं जला देते हैं।”
9 इन तीन अफ़सरों में से दूसरी जगह पर इलियज़र बिन दोदो बिन अख़ूही आता था। एक जंग में जब उन्होंने फ़िलिस्तियों को चैलेंज दिया था और इसराईली बाद में पीछे हट गए तो इलियज़र दाऊद के साथ 10 फ़िलिस्तियों का मुक़ाबला करता रहा। उस दिन वह फ़िलिस्तियों को मारते मारते इतना थक गया कि आख़िरकार तलवार उठा न सका बल्कि हाथ तलवार के साथ जम गया। रब ने उस की मारिफ़त बड़ी फ़तह बख़्शी। बाक़ी दस्ते सिर्फ़ लाशों को लूटने के लिए लौट आए।
11 उसके बाद तीसरी जगह पर सम्मा बिन अजी-हरारी आता था। एक मरतबा फ़िलिस्ती लही के क़रीब मसूर के खेत में इसराईल के ख़िलाफ़ लड़ रहे थे। इसराईली फ़ौजी उनके सामने भागने लगे, 12 लेकिन सम्मा खेत के दरमियान तक बढ़ गया और वहाँ लड़ते लड़ते फ़िलिस्तियों को शिकस्त दी। रब ने उस की मारिफ़त बड़ी फ़तह बख़्शी।
13-14 एक और जंग के दौरान दाऊद अदुल्लाम के ग़ार के पहाड़ी क़िले में था जबकि फ़िलिस्ती फ़ौज ने वादीए-रफ़ाईम में अपनी लशकरगाह लगाई थी। उनके दस्तों ने बैत-लहम पर भी क़ब्ज़ा कर लिया था। फ़सल का मौसम था। दाऊद के तीस आला अफ़सरों में से तीन उससे मिलने आए। 15 दाऊद को शदीद प्यास लगी, और वह कहने लगा, “कौन मेरे लिए बैत-लहम के दरवाज़े पर के हौज़ से कुछ पानी लाएगा?” 16 यह सुनकर तीनों अफ़सर फ़िलिस्तियों की लशकरगाह पर हमला करके उसमें घुस गए और लड़ते लड़ते बैत-लहम के हौज़ तक पहुँच गए। उससे कुछ पानी भरकर वह उसे दाऊद के पास ले आए। लेकिन उसने पीने से इनकार कर दिया बल्कि उसे क़ुरबानी के तौर पर उंडेलकर रब को पेश किया 17 और बोला, “रब न करे कि मैं यह पानी पियूँ। अगर ऐसा करता तो उन आदमियों का ख़ून पीता जो अपनी जान पर खेलकर पानी लाए हैं।” इसलिए वह उसे पीना नहीं चाहता था। यह इन तीन सूरमाओं के ज़बरदस्त कामों की एक मिसाल है।
18-19 योआब बिन ज़रूयाह का भाई अबीशै मज़कूरा तीन सूरमाओं पर मुक़र्रर था। एक दफ़ा उसने अपने नेज़े से 300 आदमियों को मार डाला। तीनों की निसबत उस की दुगनी इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह ख़ुद उनमें गिना नहीं जाता था।
20 बिनायाह बिन यहोयदा भी ज़बरदस्त फ़ौजी था। वह क़बज़ियेल का रहनेवाला था, और उसने बहुत दफ़ा अपनी मरदानगी दिखाई। मोआब के दो बड़े सूरमा उसके हाथों हलाक हुए। एक बार जब बहुत बर्फ़ पड़ गई तो उसने एक हौज़ में उतरकर एक शेरबबर को मार डाला जो उसमें गिर गया था। 21 एक और मौक़े पर उसका वास्ता एक देवक़ामत मिसरी से पड़ा। मिसरी के हाथ में नेज़ा था जबकि उसके पास सिर्फ़ लाठी थी। लेकिन बिनायाह ने उस पर हमला करके उसके हाथ से नेज़ा छीन लिया और उसे उसके अपने हथियार से मार डाला। 22 ऐसी बहादुरी दिखाने की बिना पर बिनायाह बिन यहोयदा मज़कूरा तीन आदमियों के बराबर मशहूर हुआ। 23 तीस अफ़सरों के दीगर मर्दों की निसबत उस की ज़्यादा इज़्ज़त की जाती थी, लेकिन वह मज़कूरा तीन आदमियों में गिना नहीं जाता था। दाऊद ने उसे अपने मुहाफ़िज़ों पर मुक़र्रर किया।
24 ज़ैल के आदमी बादशाह के 30 सूरमाओं में शामिल थे।