10 आख़िरकार रब ने अपने ख़ादिमों यानी नबियों की मारिफ़त एलान किया, 11 “यहूदाह के बादशाह मनस्सी से क़ाबिले-घिन गुनाह सरज़द हुए हैं। उस की हरकतें मुल्क में इसराईल से पहले रहनेवाले अमोरियों की निसबत कहीं ज़्यादा शरीर हैं। अपने बुतों से उसने यहूदाह के बाशिंदों को गुनाह करने पर उकसाया है। 12 चुनाँचे रब इसराईल का ख़ुदा फ़रमाता है, ‘मैं यरूशलम और यहूदाह पर ऐसी आफ़त नाज़िल करूँगा कि जिसे भी इसकी ख़बर मिलेगी उसके कान बजने लगेंगे। 13 मैं यरूशलम को उसी नाप से नापूँगा जिससे सामरिया को नाप चुका हूँ। मैं उसे उस तराज़ू में रखकर तोलूँगा जिसमें अख़ियब का घराना तोल चुका हूँ। जिस तरह बरतन सफ़ाई करते वक़्त पोंछकर उलटे रखे जाते हैं उसी तरह मैं यरूशलम का सफ़ाया कर दूँगा। 14 उस वक़्त मैं अपनी मीरास का बचा-खुचा हिस्सा भी तर्क कर दूँगा। मैं उन्हें उनके दुश्मनों के हवाले कर दूँगा जो उनकी लूट-मार करेंगे। 15 और वजह यही होगी कि उनसे ऐसी हरकतें सरज़द हुई हैं जो मुझे नापसंद हैं। उस दिन से लेकर जब उनके बापदादा मिसर से निकल आए आज तक वह मुझे तैश दिलाते रहे हैं’।”
16 लेकिन मनस्सी ने न सिर्फ़ यहूदाह के बाशिंदों को बुतपरस्ती और ऐसे काम करने पर उकसाया जो रब को नापसंद थे बल्कि उसने बेशुमार बेक़ुसूर लोगों को क़त्ल भी किया। उनके ख़ून से यरूशलम एक सिरे से दूसरे सिरे तक भर गया।
17 बाक़ी जो कुछ मनस्सी की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें उसके गुनाहों का ज़िक्र भी किया गया है। 18 जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे उसके महल के बाग़ में दफ़नाया गया जो उज़्ज़ा का बाग़ कहलाता है। फिर उसका बेटा अमून तख़्तनशीन हुआ।
23 एक दिन अमून के कुछ अफ़सरों ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे महल में क़त्ल कर दिया। 24 लेकिन उम्मत ने तमाम साज़िश करनेवालों को मार डाला और अमून के बेटे यूसियाह को बादशाह बना दिया।
25 बाक़ी जो कुछ अमून की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में बयान किया गया है। 26 उसे उज़्ज़ा के बाग़ में उस की अपनी क़ब्र में दफ़न किया गया। फिर उसका बेटा यूसियाह तख़्तनशीन हुआ।
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