2 यूहन्ना
1 यह ख़त बुज़ुर्ग यूहन्ना की तरफ़ से है।
3 ख़ुदा बाप और बाप का फ़रज़ंद ईसा मसीह हमें फ़ज़ल, रहम और सलामती अता करे। और यह चीज़ें सच्चाई और मुहब्बत की रूह में हमें हासिल हों।
7 क्योंकि बहुत-से ऐसे लोग दुनिया में निकल खड़े हुए हैं जो आपको सहीह राह से हटाने की कोशिश में लगे रहते हैं। यह लोग नहीं मानते कि ईसा मसीह मुजस्सम होकर आया है। हर ऐसा शख़्स फ़रेब देनेवाला और मुख़ालिफ़े-मसीह है। 8 चुनाँचे ख़बरदार रहें। ऐसा न हो कि आपने जो कुछ मेहनत करके हासिल किया है वह जाता रहे बल्कि ख़ुदा करे कि आपको इसका पूरा अज्र मिल जाए।
9 जो भी मसीह की तालीम पर क़ायम नहीं रहता बल्कि इससे आगे निकल जाता है उसके पास अल्लाह नहीं। जो मसीह की तालीम पर क़ायम रहता है उसके पास बाप भी है और फ़रज़ंद भी। 10 चुनाँचे अगर कोई आपके पास आकर यह तालीम पेश नहीं करता तो न उसे अपने घरों में आने दें, न उसको सलाम करें। 11 क्योंकि जो उसके लिए सलामती की दुआ करता है वह उसके शरीर कामों में शरीक हो जाता है।
13 आपकी चुनीदा बहन के बच्चे आपको सलाम कहते हैं।