2 कुरिंथियों
1 यह ख़त पौलुस की तरफ़ से है, जो अल्लाह की मरज़ी से मसीह ईसा का रसूल है। साथ ही यह भाई तीमुथियुस की तरफ़ से भी है।
2 ख़ुदा हमारा बाप और ख़ुदावंद ईसा मसीह आपको फ़ज़ल और सलामती अता करें।
8 भाइयो, हम आपको उस मुसीबत से आगाह करना चाहते हैं जिसमें हम सूबा आसिया में फँस गए। हम पर दबाव इतना शदीद था कि उसे बरदाश्त करना नामुमकिन-सा हो गया और हम जान से हाथ धो बैठे। 9 हमने महसूस किया कि हमें सज़ाए-मौत दी गई है। लेकिन यह इसलिए हुआ ताकि हम अपने आप पर भरोसा न करें बल्कि अल्लाह पर जो मुरदों को ज़िंदा कर देता है। 10 उसी ने हमें ऐसी हैबतनाक मौत से बचाया और वह आइंदा भी हमें बचाएगा। और हमने उस पर उम्मीद रखी है कि वह हमें एक बार फिर बचाएगा। 11 आप भी अपनी दुआओं से हमारी मदद कर रहे हैं। यह कितनी ख़ूबसूरत बात है कि अल्लाह बहुतों की दुआओं को सुनकर हम पर मेहरबानी करेगा और नतीजे में बहुतेरे हमारे लिए शुक्र करेंगे।
15 चूँकि मुझे इसका पूरा यक़ीन था इसलिए मैं पहले आपके पास आना चाहता था ताकि आपको दुगनी बरकत मिल जाए। 16 ख़याल यह था कि मैं आपके हाँ से होकर मकिदुनिया जाऊँ और वहाँ से आपके पास वापस आऊँ। फिर आप सूबा यहूदिया के सफ़र के लिए तैयारियाँ करने में मेरी मदद करके मुझे आगे भेज सकते थे। 17 आप मुझे बताएँ कि क्या मैंने यह मनसूबा यों ही बनाया था? क्या मैं दुनियावी लोगों की तरह मनसूबे बना लेता हूँ जो एक ही लमहे में “जी हाँ” और “जी नहीं” कहते हैं? 18 लेकिन अल्लाह वफ़ादार है और वह मेरा गवाह है कि हम आपके साथ बात करते वक़्त “नहीं” को “हाँ” के साथ नहीं मिलाते। 19 क्योंकि अल्लाह का फ़रज़ंद ईसा मसीह जिसकी मुनादी मैं, सीलास और तीमुथियुस ने की वह भी ऐसा नहीं है। उसने कभी भी “हाँ” को “नहीं” के साथ नहीं मिलाया बल्कि उसमें अल्लाह की हतमी “जी हाँ” वुजूद में आई। 20 क्योंकि वही अल्लाह के तमाम वादों की “हाँ” है। इसलिए हम उसी के वसीले से “आमीन” (जी हाँ) कहकर अल्लाह को जलाल देते हैं। 21 और अल्लाह ख़ुद हमें और आपको मसीह में मज़बूत कर देता है। उसी ने हमें मसह करके मख़सूस किया है। 22 उसी ने हम पर अपनी मुहर लगाकर ज़ाहिर किया है कि हम उस की मिलकियत हैं और उसी ने हमें रूहुल-क़ुद्स देकर अपने वादों का बयाना अदा किया है।
23 अगर मैं झूट बोलूँ तो अल्लाह मेरे ख़िलाफ़ गवाही दे। बात यह है कि मैं आपको बचाने के लिए कुरिंथुस वापस न आया। 24 मतलब यह नहीं कि हम ईमान के मामले में आप पर हुकूमत करना चाहते हैं। नहीं, हम आपके साथ मिलकर ख़िदमत करते हैं ताकि आप ख़ुशी से भर जाएँ, क्योंकि आप तो ईमान की मारिफ़त क़ायम हैं।
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