5 जिस घर को मैं बनाने को हूँ वह निहायत अज़ीम होगा, क्योंकि हमारा ख़ुदा दीगर तमाम माबूदों से कहीं अज़ीम है। 6 लेकिन कौन उसके लिए ऐसा घर बना सकता है जो उसके लायक़ हो? बुलंदतरीन आसमान भी उस की रिहाइश के लिए छोटा है। तो फिर मेरी क्या हैसियत है कि उसके लिए घर बनाऊँ? मैं सिर्फ़ ऐसी जगह बना सकता हूँ जिसमें उसके लिए क़ुरबानियाँ चढ़ाई जा सकें।
7 चुनाँचे मेरे पास किसी ऐसे समझदार कारीगर को भेज दें जो महारत से सोने-चाँदी, पीतल और लोहे का काम जानता हो। वह नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का कपड़ा बनाने और कंदाकारी का उस्ताद भी हो। ऐसा शख़्स यरूशलम और यहूदाह में मेरे उन कारीगरों का इंचार्ज बने जिन्हें मेरे बाप दाऊद ने काम पर लगाया है। 8 इसके अलावा मुझे लुबनान से देवदार, जूनीपर और दीगर क़ीमती दरख़्तों की लकड़ी भेज दें। क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपके लोग उम्दा क़िस्म के लकड़हारे हैं। मेरे आदमी आपके लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे। 9 हमें बहुत-सी लकड़ी की ज़रूरत होगी, क्योंकि जो घर मैं बनाना चाहता हूँ वह बड़ा और शानदार होगा। 10 आपके लकड़हारों के काम के मुआवज़े में मैं 32,75,000 किलोग्राम गंदुम, 27,00,000 किलोग्राम जौ, 4,40,000 लिटर मै और 4,40,000 लिटर ज़ैतून का तेल दूँगा।”
11 सूर के बादशाह हीराम ने ख़त लिखकर सुलेमान को जवाब दिया, “रब अपनी क़ौम को प्यार करता है, इसलिए उसने आपको उसका बादशाह बनाया है। 12 रब इसराईल के ख़ुदा की हम्द हो जिसने आसमानो-ज़मीन को ख़लक़ किया है कि उसने दाऊद बादशाह को इतना दानिशमंद बेटा अता किया है। उस की तमजीद हो कि यह अक़्लमंद और समझदार बेटा रब के लिए घर और अपने लिए महल तामीर करेगा। 13 मैं आपके पास एक माहिर और समझदार कारीगर को भेज देता हूँ जिसका नाम हीराम-अबी है। 14 उस की इसराईली माँ, दान के क़बीले की है जबकि उसका बाप सूर का है। हीराम सोने-चाँदी, पीतल, लोहे, पत्थर और लकड़ी की चीज़ें बनाने में महारत रखता है। वह नीले, अरग़वानी और क़िरमिज़ी रंग का कपड़ा और कतान का बारीक कपड़ा बना सकता है। वह हर क़िस्म की कंदाकारी में भी माहिर है। जो भी मनसूबा उसे पेश किया जाए उसे वह पायाए-तकमील तक पहुँचा सकता है। यह आदमी आपके और आपके मुअज़्ज़ज़ बाप दाऊद के कारीगरों के साथ मिलकर काम करेगा। 15 चुनाँचे जिस गंदुम, जौ, ज़ैतून के तेल और मै का ज़िक्र मेरे आक़ा ने किया वह अपने ख़ादिमों को भेज दें। 16 मुआवज़े में हम आपके लिए दरकार दरख़्तों को लुबनान में कटवाएँगे और उनके बेड़े बाँधकर समुंदर के ज़रीए याफ़ा शहर तक पहुँचा देंगे। वहाँ से आप उन्हें यरूशलम ले जा सकेंगे।”
17 सुलेमान ने इसराईल में आबाद तमाम ग़ैरमुल्कियों की मर्दुमशुमारी करवाई। (उसके बाप दाऊद ने भी उनकी मर्दुमशुमारी करवाई थी।) मालूम हुआ कि इसराईल में 1,53,600 ग़ैरमुल्की रहते हैं। 18 इनमें से उसने 80,000 को पहाड़ी कानों में लगाया ताकि वह पत्थर निकालें जबकि 70,000 अफ़राद की ज़िम्मादारी यह पत्थर यरूशलम लाना थी। इन सब पर सुलेमान ने 3,600 निगरान मुक़र्रर किए।
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