1 लेकिन यहूदाह का बादशाह यहूसफ़त सहीह-सलामत यरूशलम और अपने महल में पहुँचा। 2 उस वक़्त याहू बिन हनानी जो ग़ैबबीन था उसे मिलने के लिए निकला और बादशाह से कहा, “क्या यह ठीक है कि आप शरीर की मदद करें? आप क्यों उनको प्यार करते हैं जो रब से नफ़रत करते हैं? यह देखकर रब का ग़ज़ब आप पर नाज़िल हुआ है। 3 तो भी आपमें अच्छी बातें भी पाई जाती हैं। आपने यसीरत देवी के खंबों को मुल्क से दूर करके अल्लाह के तालिब होने का पक्का इरादा कर रखा है।”
8 यरूशलम में यहूसफ़त ने कुछ लावियों, इमामों और ख़ानदानी सरपरस्तों को इनसाफ़ करने की ज़िम्मादारी दी। रब की शरीअत से मुताल्लिक़ किसी मामले या यरूशलम के बाशिंदों के दरमियान झगड़े की सूरत में उन्हें फ़ैसला करना था। 9 यहूसफ़त ने उन्हें समझाते हुए कहा, “रब का ख़ौफ़ मानकर अपनी ख़िदमत को वफ़ादारी और पूरे दिल से सरंजाम दें। 10 आपके भाई शहरों से आकर आपके सामने अपने झगड़े पेश करेंगे ताकि आप उनका फ़ैसला करें। आपको क़त्ल के मुक़दमों का फ़ैसला करना पड़ेगा। ऐसे मामलात भी होंगे जो रब की शरीअत, किसी हुक्म, हिदायत या उसूल से ताल्लुक़ रखेंगे। जो भी हो, लाज़िम है कि आप उन्हें समझाएँ ताकि वह रब का गुनाह न करें। वरना उसका ग़ज़ब आप और आपके भाइयों पर नाज़िल होगा। अगर आप यह करें तो आप बेक़ुसूर रहेंगे। 11 इमामे-आज़म अमरियाह रब की शरीअत से ताल्लुक़ रखनेवाले मामलात का हतमी फ़ैसला करेगा। जो मुक़दमे बादशाह से ताल्लुक़ रखते हैं उनका हतमी फ़ैसला यहूदाह के क़बीले का सरबराह ज़बदियाह बिन इसमाईल करेगा। अदालत का इंतज़ाम चलाने में लावी आपकी मदद करेंगे। अब हौसला रखकर अपनी ख़िदमत सरंजाम दें। जो भी सहीह काम करेगा उसके साथ रब होगा।”
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