14 भाइयो, हम इस पर ज़ोर देना चाहते हैं कि उन्हें समझाएँ जो बेक़ायदा ज़िंदगी गुज़ारते हैं, उन्हें तसल्ली दें जो जल्दी से मायूस हो जाते हैं, कमज़ोरों का ख़याल रखें और सबको सब्र से बरदाश्त करें। 15 इस पर ध्यान दें कि कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे बल्कि आप हर वक़्त एक दूसरे और तमाम लोगों के साथ नेक काम करने में लगे रहें।
16 हर वक़्त ख़ुश रहें, 17 बिलानाग़ा दुआ करें, 18 और हर हालत में ख़ुदा का शुक्र करें। क्योंकि जब आप मसीह में हैं तो अल्लाह यही कुछ आपसे चाहता है।
19 रूहुल-क़ुद्स को मत बुझाएँ। 20 नबुव्वतों की तहक़ीर न करें। 21 सब कुछ परखकर वह थामे रखें जो अच्छा है, 22 और हर क़िस्म की बुराई से बाज़ रहें।
23 अल्लाह ख़ुद जो सलामती का ख़ुदा है आपको पूरे तौर पर मख़सूसो-मुक़द्दस करे। वह करे कि आप पूरे तौर पर रूह, जान और बदन समेत उस वक़्त तक महफ़ूज़ और बेइलज़ाम रहें जब तक हमारा ख़ुदावंद ईसा मसीह वापस नहीं आ जाता। 24 जो आपको बुलाता है वह वफ़ादार है और वह ऐसा करेगा भी।
25 भाइयो, हमारे लिए दुआ करें।
26 तमाम भाइयों को हमारी तरफ़ से बोसा देना।
27 ख़ुदावंद के हुज़ूर मैं आपको ताकीद करता हूँ कि यह ख़त तमाम भाइयों के सामने पढ़ा जाए।
28 हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह का फ़ज़ल आपके साथ होता रहे।
<- 1 थिस्सलुनीकियों 4