3 पुजारियों और रम्मालों ने जवाब दिया, “अगर आप उसे वापस भेजें तो वैसे मत भेजना बल्कि क़ुसूर की क़ुरबानी साथ भेजना। तब आपको शफ़ा मिलेगी, और आप जान लेंगे कि वह आपको सज़ा देने से क्यों नहीं बाज़ आया।”
4 फ़िलिस्तियों ने पूछा, “हम उसे किस क़िस्म की क़ुसूर की क़ुरबानी भेजें?”
7 अब बैलगाड़ी बनाकर उसके आगे दो गाएँ जोतें। ऐसी गाएँ हों जिनके दूध पीनेवाले बच्चे हों और जिन पर अब तक जुआ न रखा गया हो। गायों को बैलगाड़ी के आगे जोतें, लेकिन उनके बच्चों को साथ जाने न दें बल्कि उन्हें कहीं बंद रखें। 8 फिर रब का संदूक़ बैलगाड़ी पर रखा जाए और उसके साथ एक थैला जिसमें सोने की वह चीज़ें हों जो आप क़ुसूर की क़ुरबानी के तौर पर भेज रहे हैं। इसके बाद गायों को खुला छोड़ दें। 9 ग़ौर करें कि वह कौन-सा रास्ता इख़्तियार करेंगी। अगर इसराईल के बैत-शम्स की तरफ़ चलें तो फिर मालूम होगा कि रब हम पर यह बड़ी मुसीबत लाया है। लेकिन अगर वह कहीं और चलें तो मतलब होगा कि इसराईल के देवता ने हमें सज़ा नहीं दी बल्कि सब कुछ इत्तफ़ाक़ से हुआ है।”
10 फ़िलिस्तियों ने ऐसा ही किया। उन्होंने दो गाएँ नई बैलगाड़ी में जोतकर उनके छोटे बच्चों को कहीं बंद रखा। 11 फिर उन्होंने अहद का संदूक़ उस थैले समेत जिसमें सोने के चूहे और फोड़े थे बैलगाड़ी पर रखा।
12 जब गायों को छोड़ दिया गया तो वह डकराती डकराती सीधी बैत-शम्स के रास्ते पर आ गईं और न दाईं, न बाईं तरफ़ हटीं। फ़िलिस्तियों के सरदार बैत-शम्स की सरहद तक उनके पीछे चले।
13 उस वक़्त बैत-शम्स के बाशिंदे नीचे वादी में गंदुम की फ़सल काट रहे थे। अहद का संदूक़ देखकर वह निहायत ख़ुश हुए। 14 बैलगाड़ी एक खेत तक पहुँची जिसका मालिक बैत-शम्स का रहनेवाला यशुअ था। वहाँ वह एक बड़े पत्थर के पास रुक गई। लोगों ने बैलगाड़ी की लकड़ी टुकड़े टुकड़े करके उसे जला दिया और गायों को ज़बह करके रब को भस्म होनेवाली क़ुरबानी के तौर पर पेश किया। 15 लावी के क़बीले के कुछ मर्दों ने रब के संदूक़ को बैलगाड़ी से उठाकर सोने की चीज़ों के थैले समेत पत्थर पर रख दिया। उस दिन बैत-शम्स के लोगों ने रब को भस्म होनेवाली और ज़बह की क़ुरबानियाँ पेश कीं।
16 यह सब कुछ देखने के बाद फ़िलिस्ती सरदार उसी दिन अक़रून वापस चले गए। 17 फ़िलिस्तियों ने अपना क़ुसूर दूर करने के लिए हर एक शहर के लिए सोने का एक फोड़ा बना लिया था यानी अशदूद, ग़ज़्ज़ा, अस्क़लून, जात और अक़रून के लिए एक एक फोड़ा। 18 इसके अलावा उन्होंने हर शहर और उसके गिर्दो-नवाह की आबादियों के लिए सोने का एक एक चूहा बना लिया था। जिस बड़े पत्थर पर अहद का संदूक़ रखा गया वह आज तक यशुअ बैत-शम्सी के खेत में इस बात की गवाही देता है।