3 लेकिन दाऊद के आदमी एतराज़ करने लगे, “हम पहले से यहाँ यहूदाह में लोगों की मुख़ालफ़त से डरते हैं। जब हम क़ईला जाकर फ़िलिस्तियों पर हमला करेंगे तो फिर हमारा क्या बनेगा?” 4 तब दाऊद ने रब से दुबारा हिदायत माँगी, और दुबारा उसे यही जवाब मिला, “क़ईला को जा! मैं फ़िलिस्तियों को तेरे हवाले कर दूँगा।”
5 चुनाँचे दाऊद अपने आदमियों के साथ क़ईला चला गया। उसने फ़िलिस्तियों पर हमला करके उन्हें बड़ी शिकस्त दी और उनकी भेड़-बकरियों को छीनकर क़ईला के बाशिंदों को बचाया। 6 वहाँ क़ईला में अबियातर दाऊद के लोगों में शामिल हुआ। उसके पास इमाम का बालापोश था।
7 जब साऊल को ख़बर मिली कि दाऊद क़ईला शहर में ठहरा हुआ है तो उसने सोचा, “अल्लाह ने उसे मेरे हवाले कर दिया है, क्योंकि अब वह फ़सीलदार शहर में जाकर फँस गया है।” 8 वह अपनी पूरी फ़ौज को जमा करके जंग के लिए तैयारियाँ करने लगा ताकि उतरकर क़ईला का मुहासरा करे जिसमें दाऊद अब तक ठहरा हुआ था।
9 लेकिन दाऊद को पता चला कि साऊल उसके ख़िलाफ़ तैयारियाँ कर रहा है। उसने अबियातर इमाम से कहा, “इमाम का बालापोश ले आएँ ताकि हम रब से हिदायत माँगें।” 10 फिर उसने दुआ की, “ऐ रब इसराईल के ख़ुदा, मुझे ख़बर मिली है कि साऊल मेरी वजह से क़ईला पर हमला करके उसे बरबाद करना चाहता है। 11 क्या शहर के बाशिंदे मुझे साऊल के हवाले कर देंगे? क्या साऊल वाक़ई आएगा? ऐ रब, इसराईल के ख़ुदा, अपने ख़ादिम को बता!” रब ने जवाब दिया, “हाँ, वह आएगा।” 12 फिर दाऊद ने मज़ीद दरियाफ़्त किया, “क्या शहर के बुज़ुर्ग मुझे और मेरे लोगों को साऊल के हवाले कर देंगे?” रब ने कहा, “हाँ, वह कर देंगे।”
13 लिहाज़ा दाऊद अपने तक़रीबन 600 आदमियों के साथ क़ईला से चला गया और इधर-उधर फिरने लगा। जब साऊल को इत्तला मिली कि दाऊद क़ईला से निकलकर बच गया है तो वहाँ जाने से बाज़ आया।
24-25 ज़ीफ़ के आदमी वापस चले गए। थोड़ी देर के बाद साऊल भी अपनी फ़ौज समेत वहाँ के लिए निकला। उस वक़्त दाऊद और उसके लोग दश्ते-मऊन में यशीमोन के जुनूब में थे। जब दाऊद को इत्तला मिली कि साऊल उसका ताक़्क़ुब कर रहा है तो वह रेगिस्तान के मज़ीद जुनूब में चला गया, वहाँ जहाँ बड़ी चट्टान नज़र आती है। लेकिन साऊल को पता चला और वह फ़ौरन रेगिस्तान में दाऊद के पीछे गया।
26 चलते चलते साऊल दाऊद के क़रीब ही पहुँच गया। आख़िरकार सिर्फ़ एक पहाड़ी उनके दरमियान रह गई। साऊल पहाड़ी के एक दामन में था जबकि दाऊद अपने लोगों समेत दूसरे दामन में भागता हुआ बादशाह से बचने की कोशिश कर रहा था। साऊल अभी उन्हें घेरकर पकड़ने को था 27 कि अचानक क़ासिद साऊल के पास पहुँचा जिसने कहा, “जल्दी आएँ! फ़िलिस्ती हमारे मुल्क में घुस आए हैं।” 28 साऊल को दाऊद को छोड़ना पड़ा, और वह फ़िलिस्तियों से लड़ने गया। उस वक़्त से पहाड़ी का नाम “अलहदगी की चट्टान” पड़ गया।
29 दाऊद वहाँ से चला गया और ऐन-जदी के पहाड़ी क़िलों में रहने लगा।
<- 1 समुएल 221 समुएल 24 ->