4 अगली सुबह जब यूनतन ने अपने बाप से बात की तो उसने दाऊद की सिफ़ारिश करके कहा, “बादशाह अपने ख़ादिम दाऊद का गुनाह न करें, क्योंकि उसने आपका गुनाह नहीं किया बल्कि हमेशा आपके लिए फ़ायदामंद रहा है। 5 उसी ने अपनी जान को ख़तरे में डालकर फ़िलिस्ती को मार डाला, और रब ने उसके वसीले से तमाम इसराईल को बड़ी नजात बख़्शी। उस वक़्त आप ख़ुद भी सब कुछ देखकर ख़ुश हुए। तो फिर आप गुनाह करके उस जैसे बेक़ुसूर आदमी को क्यों बिलावजह मरवाना चाहते हैं?”
6 यूनतन की बातें सुनकर साऊल मान गया। उसने वादा किया, “रब की हयात की क़सम, दाऊद को मारा नहीं जाएगा।” 7 बाद में यूनतन ने दाऊद को बुलाकर उसे सब कुछ बताया, फिर उसे साऊल के पास लाया। तब दाऊद पहले की तरह बादशाह की ख़िदमत करने लगा।
11 साऊल ने फ़ौरन अपने आदमियों को दाऊद के घर के पास भेज दिया ताकि वह मकान की पहरादारी करके दाऊद को सुबह के वक़्त क़त्ल कर दें। लेकिन दाऊद की बीवी मीकल ने उसको आगाह कर दिया, “आज रात को ही यहाँ से चले जाएँ, वरना आप नहीं बचेंगे बल्कि कल सुबह ही मार दिए जाएंगे।” 12 चुनाँचे दाऊद घर की खिड़की में से निकला, और मीकल ने उतरने में उस की मदद की। तब दाऊद भागकर बच गया।
13 मीकल ने दाऊद की चारपाई पर बुत रखकर उसके सर पर बकरियों के बाल लगा दिए और बाक़ी हिस्से पर कम्बल बिछा दिया। 14 जब साऊल के आदमी दाऊद को पकड़ने के लिए आए तो मीकल ने कहा, “वह बीमार है।” 15 फ़ौजियों ने साऊल को इत्तला दी तो उसने उन्हें हुक्म दिया, “उसे चारपाई समेत ही मेरे पास ले आओ ताकि उसे मार दूँ।”
16 जब वह दाऊद को ले जाने के लिए आए तो क्या देखते हैं कि उस की चारपाई पर बुत पड़ा है जिसके सर पर बकरियों के बाल लगे हैं। 17 साऊल ने अपनी बेटी को बहुत झिड़का, “तूने मुझे इस तरह धोका देकर मेरे दुश्मन की फ़रार होने में मदद क्यों की? तेरी ही वजह से वह बच गया।” मीकल ने जवाब दिया, “उसने मुझे धमकी दी कि मैं तुझे क़त्ल कर दूँगा अगर तू फ़रार होने में मेरी मदद न करे।”
22 आख़िर में साऊल ख़ुद रामा के लिए रवाना हुआ। चलते चलते वह सीकू के बड़े हौज़ पर पहुँचा। वहाँ उसने लोगों से पूछा, “दाऊद और समुएल कहाँ हैं?” उन्होंने जवाब दिया, “रामा की आबादी नयोत में।”
23 साऊल अभी नयोत नहीं पहुँचा था कि अल्लाह का रूह उस पर भी नाज़िल हुआ, और वह नबुव्वत करते करते नयोत पहुँच गया। 24 वहाँ वह अपने कपड़ों को उतारकर समुएल के सामने नबुव्वत करता रहा। नबुव्वत करते करते वह ज़मीन पर लेट गया और वहाँ पूरे दिन और पूरी रात पड़ा रहा। इसी वजह से यह क़ौल मशहूर हुआ, “क्या साऊल को भी नबियों में शुमार किया जाता है?”
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