4 फिर फ़िलिस्ती सफ़ों से जात शहर का पहलवान निकलकर इसराईलियों के सामने खड़ा हुआ। उसका नाम जालूत था और वह 9 फ़ुट से ज़्यादा लंबा था। 5 उसने हिफ़ाज़त के लिए पीतल की कई चीज़ें पहन रखी थीं : सर पर ख़ोद, धड़ पर ज़िरा-बकतर जो 57 किलोग्राम वज़नी था 6 और पिंडलियों पर बकतर। कंधों पर पीतल की शमशेर लटकी हुई थी। 7 जो नेज़ा वह पकड़कर चल रहा था उसका दस्ता खड्डी के शहतीर जैसा मोटा और लंबा था, और उसके लोहे की नोक का वज़न 7 किलोग्राम से ज़्यादा था। जालूत के आगे आगे एक आदमी उस की ढाल उठाए चल रहा था।
8 जालूत इसराईली सफ़ों के सामने रुककर गरजा, “तुम सब क्यों लड़ने के लिए सफ़आरा हो गए हो? क्या मैं फ़िलिस्ती नहीं हूँ जबकि तुम सिर्फ़ साऊल के नौकर-चाकर हो? चलो, एक आदमी को चुनकर उसे यहाँ नीचे मेरे पास भेज दो। 9 अगर वह मुझसे लड़ सके और मुझे मार दे तो हम तुम्हारे ग़ुलाम बन जाएंगे। लेकिन अगर मैं उस पर ग़ालिब आकर उसे मार डालूँ तो तुम हमारे ग़ुलाम बन जाओगे। 10 आज मैं इसराईली सफ़ों की बदनामी करके उन्हें चैलेंज करता हूँ कि मुझे एक आदमी दो जो मेरे साथ लड़े।” 11 जालूत की यह बातें सुनकर साऊल और तमाम इसराईली घबरा गए, और उन पर दहशत तारी हो गई।
17 एक दिन यस्सी ने दाऊद से कहा, “बेटा, अपने भाइयों के पास कैंप में जाकर उनका पता करो। भुने हुए अनाज के यह 16 किलोग्राम और यह दस रोटियाँ अपने साथ लेकर जल्दी जल्दी उधर पहुँच जाओ। 18 पनीर की यह दस टिक्कियाँ उनके कप्तान को दे देना। भाइयों का हाल मालूम करके उनकी कोई चीज़ वापस ले आओ ताकि मुझे तसल्ली हो जाए कि वह ठीक हैं। 19 वह वादीए-ऐला में साऊल और इसराईली फ़ौज के साथ फ़िलिस्तियों से लड़ रहे हैं।” 20 अगले दिन सुबह-सवेरे दाऊद ने रेवड़ को किसी और के सुपुर्द करके सामान उठाया और यस्सी की हिदायत के मुताबिक़ चला गया। जब वह कैंप के पास पहुँच गया तो इसराईली फ़ौजी नारे लगा लगाकर मैदाने-जंग के लिए निकल रहे थे। 21 वह लड़ने के लिए तरतीब से खड़े हो गए, और दूसरी तरफ़ फ़िलिस्ती सफ़ें भी तैयार हुईं। 22 यह देखकर दाऊद ने अपनी चीज़ें उस आदमी के पास छोड़ दीं जो लशकर के सामान की निगरानी कर रहा था, फिर भागकर मैदाने-जंग में भाइयों से मिलने चला गया।
26 दाऊद ने साथवाले फ़ौजियों से पूछा, “क्या कह रहे हैं? उस आदमी को क्या इनाम मिलेगा जो इस फ़िलिस्ती को मारकर हमारी क़ौम की रुसवाई दूर करेगा? यह नामख़तून फ़िलिस्ती कौन है कि ज़िंदा ख़ुदा की फ़ौज की बदनामी करके उसे चैलेंज करे!” 27 लोगों ने दुबारा दाऊद को बताया कि बादशाह उस आदमी को क्या देगा जो जालूत को मार डालेगा।
28 जब दाऊद के बड़े भाई इलियाब ने दाऊद की बातें सुनीं तो उसे ग़ुस्सा आया और वह उसे झिड़कने लगा, “तू क्यों आया है? बयाबान में अपनी चंद एक भेड़-बकरियों को किसके पास छोड़ आया है? मैं तेरी शोख़ी और दिल की शरारत ख़ूब जानता हूँ। तू सिर्फ़ जंग का तमाशा देखने आया है!” 29 दाऊद ने पूछा, “अब मुझसे क्या ग़लती हुई? मैंने तो सिर्फ़ सवाल पूछा।” 30 वह उससे मुड़कर किसी और के पास गया और वही बात पूछने लगा। वही जवाब मिला।
34 लेकिन दाऊद ने इसरार किया, “मैं अपने बाप की भेड़-बकरियों की निगरानी करता हूँ। जब कभी कोई शेरबबर या रीछ रेवड़ का जानवर छीनकर भाग जाता 35 तो मैं उसके पीछे जाता और उसे मार मारकर भेड़ को उसके मुँह से छुड़ा लेता था। अगर शेर या रीछ जवाब में मुझ पर हमला करता तो मैं उसके सर के बालों को पकड़कर उसे मार देता था। 36 इस तरह आपके ख़ादिम ने कई शेरों और रीछों को मार डाला है। यह नामख़तून भी उनकी तरह हलाक हो जाएगा, क्योंकि उसने ज़िंदा ख़ुदा की फ़ौज की बदनामी करके उसे चैलेंज किया है। 37 जिस रब ने मुझे शेर और रीछ के पंजे से बचा लिया है वह मुझे इस फ़िलिस्ती के हाथ से भी बचाएगा।”
45 दाऊद ने जवाब दिया, “आप तलवार, नेज़ा और शमशेर लेकर मेरा मुक़ाबला करने आए हैं, लेकिन मैं रब्बुल-अफ़वाज का नाम लेकर आता हूँ, उसी का नाम जो इसराईली फ़ौज का ख़ुदा है। क्योंकि आपने उसी को चैलेंज किया है। 46 आज ही रब आपको मेरे हाथ में कर देगा, और मैं आपका सर क़लम कर दूँगा। इसी दिन मैं फ़िलिस्ती फ़ौजियों की लाशें परिंदों और जंगली जानवरों को खिला दूँगा। तब तमाम दुनिया जान लेगी कि इसराईल का ख़ुदा है। 47 सब जो यहाँ मौजूद हैं जान लेंगे कि रब को हमें बचाने के लिए तलवार या नेज़े की ज़रूरत नहीं होती। वह ख़ुद ही जंग कर रहा है, और वही आपको हमारे क़ब्ज़े में कर देगा।”
48 जालूत दाऊद पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा, और दाऊद भी उस की तरफ़ दौड़ा। 49 चलते चलते उसने अपनी थैली से पत्थर निकाला और उसे फ़लाख़न में रखकर ज़ोर से चलाया। पत्थर उड़ता उड़ता फ़िलिस्ती के माथे पर जा लगा। वह खोपड़ी में धँस गया, और पहलवान मुँह के बल गिर गया। 50-51 यों दाऊद फ़लाख़न और पत्थर से फ़िलिस्ती पर ग़ालिब आया। उसके हाथ में तलवार नहीं थी। तब उसने जालूत की तरफ़ दौड़कर उसी की तलवार मियान से खींचकर फ़िलिस्ती का सर काट डाला।
54 बाद में दाऊद जालूत का सर यरूशलम को ले आया। फ़िलिस्ती के हथियार उसने अपने ख़ैमे में रख लिए।