1 सूर का बादशाह हीराम हमेशा दाऊद का अच्छा दोस्त रहा था। जब उसे ख़बर मिली कि दाऊद के बाद सुलेमान को मसह करके बादशाह बनाया गया है तो उसने अपने सफ़ीरों को उसे मुबारकबाद देने के लिए भेज दिया। 2 तब सुलेमान ने हीराम को पैग़ाम भेजा, 3 “आप जानते हैं कि मेरे बाप दाऊद रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए घर तामीर करना चाहते थे। लेकिन यह उनके बस की बात नहीं थी, क्योंकि उनके जीते-जी इर्दगिर्द के ममालिक उनसे जंग करते रहे। गो रब ने दाऊद को तमाम दुश्मनों पर फ़तह बख़्शी थी, लेकिन लड़ते लड़ते वह रब का घर न बना सके। 4 अब हालात फ़रक़ हैं : रब मेरे ख़ुदा ने मुझे पूरा सुकून अता किया है। चारों तरफ़ न कोई मुख़ालिफ़ नज़र आता है, न कोई ख़तरा। 5 इसलिए मैं रब अपने ख़ुदा के नाम के लिए घर तामीर करना चाहता हूँ। क्योंकि मेरे बाप दाऊद के जीते-जी रब ने उनसे वादा किया था, ‘तेरे जिस बेटे को मैं तेरे बाद तख़्त पर बिठाऊँगा वही मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।’ 6 अब गुज़ारिश है कि आपके लकड़हारे लुबनान में मेरे लिए देवदार के दरख़्त काट दें। मेरे लोग उनके साथ मिलकर काम करेंगे। आपके लोगों की मज़दूरी मैं ही अदा करूँगा। जो कुछ भी आप कहेंगे मैं उन्हें दूँगा। आप तो ख़ूब जानते हैं कि हमारे हाँ सैदा के लकड़हारों जैसे माहिर नहीं हैं।”
7 जब हीराम को सुलेमान का पैग़ाम मिला तो वह बहुत ख़ुश होकर बोल उठा, “आज रब की हम्द हो जिसने दाऊद को इस बड़ी क़ौम पर हुकूमत करने के लिए इतना दानिशमंद बेटा अता किया है!” 8 सुलेमान को हीराम ने जवाब भेजा, “मुझे आपका पैग़ाम मिल गया है, और मैं आपकी ज़रूर मदद करूँगा। देवदार और जूनीपर की जितनी लकड़ी आपको चाहिए वह मैं आपके पास पहुँचा दूँगा। 9 मेरे लोग दरख़्तों के तने लुबनान के पहाड़ी इलाक़े से नीचे साहिल तक लाएँगे जहाँ हम उनके बेड़े बाँधकर समुंदर पर उस जगह पहुँचा देंगे जो आप मुक़र्रर करेंगे। वहाँ हम तनों के रस्से खोल देंगे, और आप उन्हें ले जा सकेंगे। मुआवज़े में आप मुझे इतनी ख़ुराक मुहैया करें कि मेरे दरबार की ज़रूरियात पूरी हो जाएँ।”
10 चुनाँचे हीराम ने सुलेमान को देवदार और जूनीपर की उतनी लकड़ी मुहैया की जितनी उसे ज़रूरत थी। 11 मुआवज़े में सुलेमान उसे सालाना तक़रीबन 32,50,000 किलोग्राम गंदुम और तक़रीबन 4,40,000 लिटर ज़ैतून का तेल भेजता रहा। 12 इसके अलावा सुलेमान और हीराम ने आपस में सुलह का मुआहदा किया। यों रब ने सुलेमान को हिकमत अता की जिस तरह उसने उससे वादा किया था।
रब का घर बनाने की पहली तैयारियाँ
13-14 सुलेमान बादशाह ने लुबनान में यह काम करने के लिए इसराईल में से 30,000 आदमियों की बेगार पर भरती की। उसने अदूनीराम को उन पर मुक़र्रर किया। हर माह वह बारी बारी 10,000 अफ़राद को लुबनान में भेजता रहा। यों हर मज़दूर एक माह लुबनान में और दो माह घर में रहता। 15 सुलेमान ने 80,000 आदमियों को कानों में लगाया ताकि वह पत्थर निकालें। 70,000 अफ़राद यह पत्थर यरूशलम लाते थे। 16 उन लोगों पर 3,300 निगरान मुक़र्रर थे। 17 बादशाह के हुक्म पर वह कानों से बेहतरीन पत्थर के बड़े बड़े टुकड़े निकाल लाए और उन्हें तराशकर रब के घर की बुनियाद के लिए तैयार किया। 18 जबल के कारीगरों ने सुलेमान और हीराम के कारीगरों की मदद की। उन्होंने मिलकर पत्थर के बड़े बड़े टुकड़े और लकड़ी को तराशकर रब के घर की तामीर के लिए तैयार किया।
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