6 रहुबियाम और यरुबियाम के दरमियान की जंग अबियाह की हुकूमत के दौरान भी जारी रही। 7 बाक़ी जो कुछ अबियाह की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। 8 जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में दफ़न किया गया जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है। फिर उसका बेटा आसा तख़्तनशीन हुआ।
16 यहूदाह के बादशाह आसा और इसराईल के बादशाह बाशा के दरमियान ज़िंदगी-भर जंग जारी रही। 17 एक दिन बाशा बादशाह ने यहूदाह पर हमला करके रामा शहर की क़िलाबंदी की। मक़सद यह था कि न कोई यहूदाह के मुल्क में दाख़िल हो सके, न कोई वहाँ से निकल सके। 18 जवाब में आसा ने शाम के बादशाह बिन-हदद के पास वफ़द भेजा। बिन-हदद का बाप ताबरिम्मोन बिन हज़यून था, और उसका दारुल-हुकूमत दमिश्क़ था। आसा ने रब के घर और शाही महल के ख़ज़ानों का तमाम बचा हुआ सोना और चाँदी वफ़द के सुपुर्द करके दमिश्क़ के बादशाह को पैग़ाम भेजा, 19 “मेरा आपके साथ अहद है जिस तरह मेरे बाप का आपके बाप के साथ अहद था। गुज़ारिश है कि आप सोने-चाँदी का यह तोह्फ़ा क़बूल करके इसराईल के बादशाह बाशा के साथ अपना अहद मनसूख़ कर दें ताकि वह मेरे मुल्क से निकल जाए।”
20 बिन-हदद मुत्तफ़िक़ हुआ। उसने अपने फ़ौजी अफ़सरों को इसराईल के शहरों पर हमला करने के लिए भेज दिया तो उन्होंने ऐय्यून, दान, अबील-बैत-माका, तमाम किन्नरत और नफ़ताली पर क़ब्ज़ा कर लिया। 21 जब बाशा को इसकी ख़बर मिली तो वह रामा की क़िलाबंदी करने से बाज़ आया और तिरज़ा वापस चला गया।
22 फिर आसा बादशाह ने यहूदाह के तमाम मर्दों की भरती करके उन्हें रामा भेज दिया ताकि वह उन तमाम पत्थरों और शहतीरों को उठाकर ले जाएँ जिनसे बाशा बादशाह रामा की क़िलाबंदी करना चाहता था। तमाम मर्दों को वहाँ जाना पड़ा, एक को भी छुट्टी न मिली। इस सामान से आसा ने बिनयमीन के शहर जिबा और मिसफ़ाह की क़िलाबंदी की।
23 बाक़ी जो कुछ आसा की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-यहूदाह की तारीख़’ की किताब में दर्ज है। उसमें उस की कामयाबियों और उसके तामीर किए गए शहरों का ज़िक्र है। बुढ़ापे में उसके पाँवों को बीमारी लग गई। 24 जब वह मरकर अपने बापदादा से जा मिला तो उसे यरूशलम के उस हिस्से में जो ‘दाऊद का शहर’ कहलाता है ख़ानदानी क़ब्र में दफ़नाया गया। फिर उसका बेटा यहूसफ़त उस की जगह तख़्तनशीन हुआ।
27-28 एक दिन जब नदब इसराईली फ़ौज के साथ फ़िलिस्ती शहर जिब्बतून का मुहासरा किए हुए था तो इशकार के क़बीले के बाशा बिन अख़ियाह ने उसके ख़िलाफ़ साज़िश करके उसे मार डाला और ख़ुद इसराईल का बादशाह बन गया। यह यहूदाह के बादशाह आसा की हुकूमत के तीसरे साल में हुआ।
29 तख़्त पर बैठते ही बाशा ने यरुबियाम के पूरे ख़ानदान को मरवा दिया। उसने एक को भी ज़िंदा न छोड़ा। यों वह बात पूरी हुई जो रब ने सैला के रहनेवाले अपने ख़ादिम अख़ियाह की मारिफ़त फ़रमाई थी। 30 क्योंकि जो गुनाह यरुबियाम ने किए और इसराईल को करने पर उकसाया था उनसे उसने रब इसराईल के ख़ुदा को तैश दिलाया था।
31 बाक़ी जो कुछ नदब की हुकूमत के दौरान हुआ और जो कुछ उसने किया वह ‘शाहाने-इसराईल की तारीख़’ की किताब में दर्ज है।