5 रहुबियाम ने जवाब दिया, “मुझे तीन दिन की मोहलत दें, फिर दुबारा मेरे पास आएँ।” चुनाँचे लोग चले गए।
6 फिर रहुबियाम बादशाह ने उन बुज़ुर्गों से मशवरा किया जो सुलेमान के जीते-जी बादशाह की ख़िदमत करते रहे थे। उसने पूछा, “आपका क्या ख़याल है? मैं इन लोगों को क्या जवाब दूँ?” 7 बुज़ुर्गों ने जवाब दिया, “हमारा मशवरा है कि इस वक़्त उनका ख़ादिम बनकर उनकी ख़िदमत करें और उन्हें नरम जवाब दें। अगर आप ऐसा करें तो वह हमेशा आपके वफ़ादार ख़ादिम बने रहेंगे।”
8 लेकिन रहुबियाम ने बुज़ुर्गों का मशवरा रद्द करके उस की ख़िदमत में हाज़िर उन जवानों से मशवरा किया जो उसके साथ परवान चढ़े थे। 9 उसने पूछा, “मैं इस क़ौम को क्या जवाब दूँ? यह तक़ाज़ा कर रहे हैं कि मैं वह जुआ हलका कर दूँ जो मेरे बाप ने उन पर डाल दिया।” 10 जो जवान उसके साथ परवान चढ़े थे उन्होंने कहा, “अच्छा, यह लोग तक़ाज़ा कर रहे हैं कि आपके बाप का जुआ हलका किया जाए? उन्हें बता देना, ‘मेरी छोटी उँगली मेरे बाप की कमर से ज़्यादा मोटी है! 11 बेशक जो जुआ उसने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जुआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आपको कोड़े लगाए वहाँ मैं आपकी बिच्छुओं से तादीब करूँगा’!”
12 तीन दिन के बाद जब यरुबियाम तमाम इसराईलियों के साथ रहुबियाम का फ़ैसला सुनने के लिए वापस आया 13 तो बादशाह ने उन्हें सख़्त जवाब दिया। बुज़ुर्गों का मशवरा रद्द करके 14 उसने उन्हें जवानों का जवाब दिया, “बेशक जो जुआ मेरे बाप ने आप पर डाल दिया उसे उठाना मुश्किल था, लेकिन मेरा जुआ और भी भारी होगा। जहाँ मेरे बाप ने आपको कोड़े लगाए वहाँ मैं आपकी बिच्छुओं से तादीब करूँगा!” 15 यों रब की मरज़ी पूरी हुई कि रहुबियाम लोगों की बात नहीं मानेगा। क्योंकि अब रब की वह पेशगोई पूरी हुई जो सैला के नबी अख़ियाह ने यरुबियाम बिन नबात को बताई थी।
16 जब इसराईलियों ने देखा कि बादशाह हमारी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है तो उन्होंने उससे कहा, “न हमें दाऊद से मीरास में कुछ मिलेगा, न यस्सी के बेटे से कुछ मिलने की उम्मीद है। ऐ इसराईल, सब अपने अपने घर वापस चलें! ऐ दाऊद, अब अपना घर ख़ुद सँभाल लो!” यह कहकर वह सब चले गए।
17 सिर्फ़ यहूदाह के क़बीले के शहरों में रहनेवाले इसराईली रहुबियाम के तहत रहे। 18 फिर रहुबियाम बादशाह ने बेगारियों पर मुक़र्रर अफ़सर अदूनीराम को शिमाली क़बीलों के पास भेज दिया, लेकिन उसे देखकर तमाम लोगों ने उसे संगसार किया। तब रहुबियाम जल्दी से अपने रथ पर सवार हुआ और भागकर यरूशलम पहुँच गया। 19 यों इसराईल के शिमाली क़बीले दाऊद के शाही घराने से अलग हो गए और आज तक उस की हुकूमत नहीं मानते।
20 जब ख़बर शिमाली इसराईल में फैली कि यरुबियाम मिसर से वापस आ गया है तो लोगों ने क़ौमी इजलास मुनअक़िद करके उसे बुलाया और वहाँ उसे अपना बादशाह बना लिया। सिर्फ़ यहूदाह का क़बीला रहुबियाम और उसके घराने का वफ़ादार रहा।
28 अपने अफ़सरों के मशवरे पर उसने सोने के दो बछड़े बनवाए। लोगों के सामने उसने एलान किया, “हर क़ुरबानी के लिए यरूशलम जाना मुश्किल है! ऐ इसराईल देख, यह तेरे देवता हैं जो तुझे मिसर से निकाल लाए।” 29 एक बुत उसने जुनूबी शहर बैतेल में खड़ा किया और दूसरा शिमाली शहर दान में। 30 यों यरुबियाम ने इसराईलियों को गुनाह करने पर उकसाया। लोग दान तक सफ़र किया करते थे ताकि वहाँ के बुत की पूजा करें।
31 इसके अलावा यरुबियाम ने बहुत-सी ऊँची जगहों पर मंदिर बनवाए। उन्हें सँभालने के लिए उसने ऐसे लोग मुक़र्रर किए जो लावी के क़बीले के नहीं बल्कि आम लोग थे। 32 उसने एक नई ईद भी रायज की जो यहूदाह में मनानेवाली झोंपड़ियों की ईद की मानिंद थी। यह ईद आठवें माह *अक्तूबर ता नवंबर के पंद्रहवें दिन मनाई जाती थी। बैतेल में उसने ख़ुद क़ुरबानगाह पर जाकर अपने बनवाए हुए बछड़ों को क़ुरबानियाँ पेश कीं, और वहीं उसने अपने उन मंदिरों के इमामों को मुक़र्रर किया जो उसने ऊँची जगहों पर तामीर किए थे।
- a अक्तूबर ता नवंबर