4 यहूदाह के क़बीले के दर्जे-ज़ैल ख़ानदानी सरपरस्त वहाँ आबाद हुए :
5 सैला के ख़ानदान का पहलौठा असायाह और उसके बेटे।
6 ज़ारह के ख़ानदान का यऊएल। यहूदाह के इन ख़ानदानों की कुल तादाद 690 थी।
7-8 बिनयमीन के क़बीले के दर्जे-ज़ैल ख़ानदानी सरपरस्त यरूशलम में आबाद हुए :
9 नसबनामे के मुताबिक़ बिनयमीन के इन ख़ानदानों की कुल तादाद 956 थी।
10 जो इमाम जिलावतनी से वापस आकर यरूशलम में आबाद हुए वह ज़ैल में दर्ज हैं :
14 जो लावी जिलावतनी से वापस आकर यरूशलम में आबाद हुए वह दर्जे-ज़ैल हैं :
17 ज़ैल के दरबान भी वापस आए : सल्लूम, अक़्क़ूब, तलमून, अख़ीमान और उनके भाई। सल्लूम उनका इंचार्ज था। 18 आज तक उसका ख़ानदान रब के घर के मशरिक़ में शाही दरवाज़े की पहरादारी करता है। यह दरबान लावियों के ख़ैमों के अफ़राद थे। 19 सल्लूम बिन क़ोरे बिन अबियासफ़ बिन क़ोरह अपने भाइयों के साथ क़ोरह के ख़ानदान का था। जिस तरह उनके बापदादा की ज़िम्मादारी रब की ख़ैमागाह में मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े की पहरादारी करनी थी उसी तरह उनकी ज़िम्मादारी मक़दिस के दरवाज़े की पहरादारी करनी थी। 20 क़दीम ज़माने में फ़ीनहास बिन इलियज़र उन पर मुक़र्रर था, और रब उसके साथ था। 21 बाद में ज़करियाह बिन मसलमियाह मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़े का दरबान था।
22 कुल 212 मर्दों को दरबान की ज़िम्मादारी दी गई थी। उनके नाम उनकी मक़ामी जगहों के नसबनामे में दर्ज थे। दाऊद और समुएल ग़ैबबीन ने उनके बापदादा को यह ज़िम्मादारी दी थी। 23 वह और उनकी औलाद पहले रब के घर यानी मुलाक़ात के ख़ैमे के दरवाज़ों पर पहरादारी करते थे। 24 यह दरबान रब के घर के चारों तरफ़ के दरवाज़ों की पहरादारी करते थे।
25 लावी के अकसर लोग यरूशलम में नहीं रहते थे बल्कि बारी बारी एक हफ़ते के लिए देहात से यरूशलम आते थे ताकि वहाँ अपनी ख़िदमत सरंजाम दें। 26 सिर्फ़ दरबानों के चार इंचार्ज मुसलसल यरूशलम में रहते थे। यह चार लावी अल्लाह के घर के कमरों और ख़ज़ानों को भी सँभालते 27 और रात को भी अल्लाह के घर के इर्दगिर्द गुज़ारते थे, क्योंकि उन्हीं को उस की हिफ़ाज़त करना और सुबह के वक़्त उसके दरवाज़ों को खोलना था।
28 बाज़ दरबान इबादत का सामान सँभालते थे। जब भी उसे इस्तेमाल के लिए अंदर और बाद में दुबारा बाहर लाया जाता तो वह हर चीज़ को गिनकर चैक करते थे। 29 बाज़ बाक़ी सामान और मक़दिस में मौजूद चीज़ों को सँभालते थे। रब के घर में मुस्तामल बारीक मैदा, मै, ज़ैतून का तेल, बख़ूर और बलसान के मुख़्तलिफ़ तेल भी इनमें शामिल थे। 30 लेकिन बलसान के तेलों को तैयार करना इमामों की ज़िम्मादारी थी। 31 क़ोरह के ख़ानदान का लावी मत्तितियाह जो सल्लूम का पहलौठा था क़ुरबानी के लिए मुस्तामल रोटी बनाने का इंतज़ाम चलाता था। 32 क़िहात के ख़ानदान के बाज़ लावियों के हाथ में वह रोटियाँ बनाने का इंतज़ाम था जो हर हफ़ते के दिन को रब के लिए मख़सूस करके रब के घर के मुक़द्दस कमरे की मेज़ पर रखी जाती थीं।
33 मौसीक़ार भी लावी थे। उनके सरबराह बाक़ी तमाम ख़िदमत में हिस्सा नहीं लेते थे, क्योंकि उन्हें हर वक़्त अपनी ही ख़िदमत सरंजाम देने के लिए तैयार रहना पड़ता था। इसलिए वह रब के घर के कमरों में रहते थे।
34 लावियों के यह तमाम ख़ानदानी सरपरस्त नसबनामे में दर्ज थे और यरूशलम में रहते थे।
39 नैर क़ीस का बाप था और क़ीस साऊल का। साऊल के चार बेटे यूनतन, मलकीशुअ, अबीनदाब और इशबाल थे।
40 यूनतन मरीब्बाल का बाप था और मरीब्बाल मीकाह का। 41 मीकाह के चार बेटे फ़ीतून, मलिक, तहरेअ और आख़ज़ थे। 42 आख़ज़ का बेटा यारा था। यारा के तीन बेटे अलमत, अज़मावत और ज़िमरी थे। ज़िमरी के हाँ मौज़ा पैदा हुआ, 43 मौज़ा के बिनआ, बना के रिफ़ायाह, रिफ़ायाह के इलियासा और इलियासा के असील।
44 असील के छः बेटे अज़रीक़ाम, बोकिरू, इसमाईल, सअरियाह, अबदियाह और हनान थे।
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