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ज़करयाह
मुसन्निफ़ की पहचान
ज़करयाह 1:1 ज़करयाह की किताब का मुसन्निफ़ और ज़करयाह नबी बतौर पहचाना जाता है जो ब्रेछियाह का बेटा और ब्राछयाह इदद का बेटा था। इददू काहिनों के ख़ान्दान का सर्दार था। वह उन में से था जो जिलावतनी से लौट रहे थे (नहमियाह 12:4, 16) जिलावतनी से लौटते वक़्त हो सकता है ज़करयाह एक लड़का रहा हो, जब उसका ख़ान्दान यरूशलेम लौटा था। उसके ख़ानदानी नसल के सबब से ज़करयाह एक काहिन होने के साथ साथ एक नबी भी था। इसलिए उस के पास यहूदी दस्तूर के मुताबिक़ इबादत के तरीक़ों की गहरी वाकफियत का इल्म रहा होगा। जबकि उसने कभी भी मंदिर की पूरी तरह से खिदमत न की हो।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इसके तस्नीफ़ की तारीख तक़रीबन 520 - 480 क़ब्ल मसीह के बीच है।
इस को बाबुल की गिरफ़्तारी (जिलावत्नी) से लौटने के बाद लिखा गया था। ज़करयाह ने 1 — 8 बाब को मंदिर के दुबारा ता‘मीर के पहले लिखना ख़तम किया और 9 — 14 बाबों को मंदिर के दुबारा ता‘मीर के ख़तम होने के बाद।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
यरूशलेम में जो लोग रह रहे थे वह लोग और वह जो जिलावत्नी से लौटे थे।
असल मक़सूद
ज़करिया की किताब को लिखने का मक़सद था कि जिला वत्नी से बचे कुचे लोगों को उम्मीद और, समझ दे कि आने वाले मसीहा की तरफ़ ताकते रहे जो कि येसू मसीह है। ज़करयाह ने ज़ोर दिया कि ख़ुदा ने अपने नबियों को इसलिए इस्तेमाल किया कि अपने लोगों को सिखाए, ख़बरदार और होशियार करे और उन्हें सुधारे। बदनसीबी के सबब से उन्हों ने सुन्ने से इन्कार किया। उनका गुनाह ख़ुदा की सज़ा को ले आया किताब इसबात को भी साबित करती है कि नबुव्वत भी ख़राब हो सकती है।
मौज़’अ
ख़ुदा का छुटकारा।
बैरूनी ख़ाका
1. तौबा के लिए बुलाहट — 1:1-6
2. ज़करयाह का रौया — 1:7-6:15
3. रोज़ा से वाबस्ता सवालात — 7:1-8:23
4. मुस्तक़बिल से मुता‘ल्लिक़ बोझ — 9:1-14:21

1
ख़ुदा के पास लौटने की मांग
1 दारा के दूसरे बरस के आठवें महीने में ख़ुदावन्द का कलाम ज़करियाह नबी बिन बरकियाह — बिन — 'इददू पर नाज़िल हुआ: 2 कि “ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा से सख़्त नाराज़ रहा। 3 इसलिए तू उनसे कह, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि तुम मेरी तरफ़ रुजू' हो, रब्ब — उल — अफ़वाज का फ़रमान है, तो मैं तुम्हारी तरफ़ से रुजू' हूँगा रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है। 4 तुम अपने बाप — दादा की तरह न बनो, जिनसे अगले नबियों ने बा आवाज़ — ए — बुलन्द कहा, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है, कि तुम अपनी बुरे चाल चलन और बद'आमाली से बाज़ आओ; लेकिन उन्होंने न सुना और मुझे न माना, ख़ुदावन्द फ़रमाता है। 5 तुम्हारे बाप दादा कहाँ हैं? क्या अम्बिया हमेशा ज़िन्दा रहते हैं? 6 लेकिन मेरा कलाम और मेरे क़ानून, जो मैंने अपने ख़िदमत गुज़ार नबियों को फ़रमाए थे, क्या वह तुम्हारे बाप — दादा पर पूरे नहीं हुए? चुनाँचे उन्होंने रुजू' लाकर कहा, कि रब्ब — उल — अफ़वाज ने अपने इरादे के मुताबिक़ हमारी 'आदात और हमारे 'आमाल का बदला दिया है।” 7 दारा के दूसरे बरस और ग्यारहवें महीने या'नी माह — ए — सबात की चौबीसवीं तारीख़ को ख़ुदावन्द का कलाम ज़करियाह नबी बिन — बरकियाह — बिन — 'इद्दु पर नाज़िल हुआ 8 कि मैंने रात को रोया में देखा कि एक शख़्स सुरंग घोड़े पर सवार, मेंहदी के दरख़्तों के बीच नशेब में खड़ा था, और उसके पीछे सुरंग और कुमैत और नुक़रह घोड़े थे। 9 तब मैंने कहा, ऐ मेरे आक़ा, यह क्या हैं?' इस पर फ़रिश्ते ने, जो मुझ से गुफ़्तगू करता था कहा, 'मैं तुझे दिखाऊँगा कि यह क्या हैं। 10 और जो शख़्स मेंहदी के दरख़्तों के बीच खड़ा था, कहने लगा, 'ये वह हैं जिनको ख़ुदावन्द ने भेजा है कि सारी दुनिया में सैर करें। 11 और उन्होंने ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते से, जो मेंहदी के दरख़्तों के बीच खड़ा था कहा, हम ने सारी दुनिया की सैर की है, और देखा कि सारी ज़मीन में अमन — ओ — अमान है। 12 फिर ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने कहा, 'ऐ रब्ब — उल — अफ़वाज तू येरूशलेम और यहूदाह के शहरों पर, जिनसे तू सत्तर बरस से नाराज़ है, कब तक रहम न करेगा? 13 और ख़ुदावन्द ने उस फ़रिश्ते को जो मुझ से गुफ़्तगू करता था, मुलायम और तसल्ली बख़्श जवाब दिया। 14 तब उस फ़रिश्ते ने जो मुझ से गुफ़्तगू करता था, मुझ से कहा, बुलन्द आवाज़ से कह, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि मुझे येरूशलेम और सिय्यून के लिए बड़ी गै़रत है। 15 और मैं उन क़ौमों से जो आराम में हैं, निहायत नाराज़ हूँ; क्यूँकि जब मैं थोड़ा नाराज़ था, तो उन्होंने उस आफ़त को बहुत ज़्यादा कर दिया। 16 इसलिए ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है, कि मैं रहमत के साथ येरूशलेम को वापस आया हूँ; उसमें मेरा घर ता'मीर किया जाएगा, रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, और येरूशलेम पर फिर सूत खींचा जाएगा। 17 फिर बुलन्द आवाज़ से कह, रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: मेरे शहर दोबारा ख़ुशहाली से मा'मूर होंगे, क्यूँकि ख़ुदावन्द फिर सिय्यून को तसल्ली बख़्शेगा, और येरूशलेम को क़ुबूल फ़रमाएगा। 18 फिर मैंने आँख उठाकर निगाह की, और क्या देखता हूँ कि चार सींग हैं। 19 और मैंने उस फ़रिश्ते से जो मुझ से गुफ़्तगू करता था पूछा, कि “यह क्या हैं?” उसने मुझे जवाब दिया, “यह वह सींग हैं, जिन्होंने यहूदाह और इस्राईल और येरूशलेम को तितर — बितर किया है।” 20 फिर ख़ुदावन्द ने मुझे चार कारीगर दिखाए। 21 तब मैंने कहा, “यह क्यूँ आए हैं?” उसने जवाब दिया, “यह वह सींग हैं, जिन्होंने यहूदाह को ऐसा तितर — बितर किया कि कोई सिर न उठा सका; लेकिन यह इसलिए आए हैं कि उनको डराएँ, और उन क़ौमों के सींगों को पस्त करें जिन्होंने यहूदाह के मुल्क को तितर — बितर करने के लिए सींग उठाया है।”

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