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10
1 ऐ भाइयों; मेरे दिल की आरज़ू और उन के लिए ख़ुदा से मेरी दुआ है कि वो नजात पाएँ। 2 क्यूँकि मैं उनका गवाह हूँ कि वो ख़ुदा के बारे में ग़ैरत तो रखते हैं; मगर समझ के साथ नहीं। 3 इसलिए कि वो ख़ुदा की रास्तबाज़ी से नावाक़िफ़ हो कर और अपनी रास्तबाज़ी क़ाईम करने की कोशिश करके ख़ुदा की रास्तबाज़ी के ताबे न हुए।

4 क्यूँकि हर एक ईमान लानेवाले की रास्तबाज़ी के लिए मसीह शरी'अत का अंजाम है।

नजात सबके लियै है
5 चुनाँचे मूसा ने ये लिखा है “कि जो शख़्स उस रास्तबाज़ी पर अमल करता है जो शरी'अत से है वो उसी की वजह से ज़िन्दा रहेगा।”

6 अगर जो रास्तबाज़ी ईमान से है वो यूँ कहती है, “तू अपने दिल में ये न कह'कि आसमान पर कौन चढ़ेगा?” या'नी मसीह के उतार लाने को। 7 या “गहराव में कौन उतरेगा?” यानी मसीह को मुर्दों में से जिला कर ऊपर लाने को।

8 बल्कि क्या कहती है;

ये कि कलाम तेरे नज़दीक है
बल्कि तेरे मुँह और तेरे दिल में है कि,
ये वही ईमान का कलाम है जिसका हम ऐलान करते हैं। 9 कि अगर तू अपनी ज़बान से ईसा के ख़ुदावन्द होने का इक़रार करे और अपने दिल से ईमान लाए कि ख़ुदा ने उसे मुर्दों में से जिलाया तो नजात पाएगा। 10 क्यूँकि रास्तबाज़ी के लिए ईमान लाना दिल से होता है और नजात के लिए इक़रार मुँह से किया जाता है।

11 चुनाँचे किताब — ए — मुक़द्दस ये कहती है “जो कोई उस पर ईमान लाएगा वो शर्मिन्दा न होगा।” 12 क्यूँकि यहूदियों और यूनानियों में कुछ फ़र्क़ नहीं इसलिए कि वही सब का ख़ुदावन्द है और अपने सब दुआ करनेवालों के लिए फ़य्याज़ है। 13 क्यूँकि “जो कोई ख़ुदावन्द का नाम लेगा नजात पाएगा।”

14 मगर जिस पर वो ईमान नहीं लाए उस से क्यूँकर दुआ करें? और जिसका ज़िक्र उन्होंने सुना नहीं उस पर ईमान क्यूँ लाएँ? और बग़ैर ऐलान करने वाले की क्यूँकर सुनें? 15 और जब तक वो भेजे न जाएँ ऐलान क्यूँकर करें? चुनाँचे लिखा है “क्या ही ख़ुशनुमा हैं उनके क़दम जो अच्छी चीज़ों की ख़ुशख़बरी देते हैं।”

16 लेकिन सब ने इस ख़ुशख़बरी पर कान न धरा चुनाँचे यसायाह कहता है “ऐ ख़ुदावन्द हमारे पैग़ाम का किसने यक़ीन किया है?” 17 पस ईमान सुनने से पैदा होता है और सुनना मसीह के कलाम से।

18 लेकिन मैं कहता हूँ, क्या उन्होंने नहीं सुना? चुनाँचे लिखा है, “उनकी आवाज़ तमाम रू'ए ज़मीन पर और उनकी बातें दुनिया की इन्तिहा तक पहुँची”।

19 फिर मैं कहता हूँ, क्या इस्राईल वाक़िफ़ न था? पहले तो मूसा कहता है,

“उन से तुम को ग़ैरत दिलाऊँगा जो क़ौम ही नहीं
एक नादान क़ौम से तुम को ग़ुस्सा दिलाऊँगा।”

20 फिर यसायाह बड़ा दिलेर होकर ये कहता है

जिन्होंने मुझे नहीं ढूंडा उन्होंने मुझे पा लिया
जिन्होंने मुझ से नहीं पूछा उन पर में ज़ाहिर हो गया।
21 लेकिन इस्राईल के हक़ में यूँ कहता है “मैं दिन भर एक नाफ़रमान और हुज्जती उम्मत की तरफ़ अपने हाथ बढ़ाए रहा।”

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