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63
1 ऐ ख़ुदा, तू मेरा ख़ुदा है,
मै दिल से तेरा तालिब हूँगा;
ख़ुश्क और प्यासी ज़मीन में जहाँ पानी नहीं,
मेरी जान तेरी प्यासी और मेरा जिस्म तेरा मुशताक़ है
2 इस तरह मैंने मक़दिस में तुझ पर निगाह की
ताकि तेरी कु़दरत और हश्मत को देखूँ।
3 क्यूँकि तेरी शफ़क़त ज़िन्दगी से बेहतर है
मेरे होंट तेरी ता'रीफ़ करेंगे।
4 इसी तरह मैं उम्र भर तुझे मुबारक कहूँगा;
और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाया करूँगा;
5 मेरी जान जैसे गूदे और चर्बी से सेर होगी,
और मेरा मुँह मसरूर लबों से तेरी ता'रीफ़ करेगा।
6 जब मैं बिस्तर पर तुझे याद करूँगा,
और रात के एक एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा;
7 इसलिए कि तू मेरा मददगार रहा है,
और मैं तेरे परों के साये में ख़ुशी मनाऊँगा।
8 मेरी जान को तेरी ही धुन है;
तेरा दहना हाथ मुझे संभालता है।
9 लेकिन जो मेरी जान की हलाकत के दर पै हैं,
वह ज़मीन के तह में चले जाएँगे।
10 वह तलवार के हवाले होंगे,
वह गीदड़ों का लुक्मा बनेंगे।
11 लेकिन बादशाह खु़दा में ख़ुश होगा;
जो उसकी क़सम खाता है वह फ़ख़्र करेगा;
क्यूँकि झूट बोलने वालों का मुँह बन्द कर दिया जाएगा

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