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1 मुझ पर रहम कर, ऐ ख़ुदा! मुझ पर रहम कर,
क्यूँकि मेरी जान तेरी पनाह लेती है।
मैं तेरे परों के साये में पनाह लूँगा,
जब तक यह आफ़तें गुज़र न जाएँ।
2 मैं ख़ुदा ता'ला से फ़रियाद करूँगा;
ख़ुदा से, जो मेरे लिए सब कुछ करता है।
3 वह मेरी नजात के लिए आसमान से भेजेगा;
जब वह जो मुझे निगलना चाहता है,
मलामत करता हो। सिलाह ख़ुदा अपनी शफ़क़त
और सच्चाई को भेजेगा।
4 मेरी जान बबरों के बीच है,
मैं आतिश मिज़ाज लोगों में पड़ा हूँ
या'नी ऐसे लोगों में जिनके दाँत बर्छियाँऔर तीर हैं,
जिनकी ज़बान तेज़ तलवार है।
5 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो,
तेरा जलाल सारी ज़मीन पर हो!
6 उन्होंने मेरे पाँव के लिए जाल लगाया है;
मेरी जान 'आजिज़ आ गई।
उन्होंने मेरे आगे गढ़ा खोदा,
वह ख़ुद उसमें गिर पड़े। सिलाह
7 मेरा दिल क़ाईम है, ऐ ख़ुदा! मेरा दिल क़ाईम है;
मैं गाऊँगा बल्कि मैं मदह सराई करूँगा।
8 ऐ मेरी शौकत, बेदार हो! ऐ बर्बत और सितार जागो!
मैं ख़ुद सुबह सवेरे जाग उठूँगा।
9 ऐ ख़ुदावन्द! मैं लोगों में तेरा शुक्र करूँगा।
मैं उम्मतों में तेरी मदहसराई करूँगा।
10 क्यूँकि तेरी शफ़क़त आसमान के,
और तेरी सच्चाई फ़लाक के बराबर बुलन्द है।
11 ऐ ख़ुदा! तू आसमान पर सरफ़राज़ हो!