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गुनाह के लिये ख़ुदा का गुस्सा
1 ख़ुदावन्द ने अपने क़हर में सिय्यून की बेटी को कैसे बादल से छिपा दिया!
उसने इस्राईल की खू़बसूरती को आसमान से ज़मीन पर गिरा दिया,
और अपने ग़ज़ब के दिन भी अपने पैरों की चौकी को याद न किया।
2 ख़ुदावन्द ने या'क़ूब के तमाम घर हलाक किए, और रहम न किया;
उसने अपने क़हर में यहूदाह की बेटी के तमाम क़िले' गिराकर ख़ाक में मिला दिए उसने मुल्कों और उसके हाकिमों को नापाक ठहराया।
3 उसने बड़े ग़ज़ब में इस्राईल का सींग बिल्कुल काट डाला;
उसने दुश्मन के सामने से दहना हाथ खींच लिया;
और उसने जलाने वाली आग की तरह, जो चारों तरफ़ ख़ाक करती है, या'कू़ब को जला दिया।
4 उसने दुश्मन की तरह कमान खींची, मुख़ालिफ़ की तरह दहना हाथ बढ़ाया,
और सिय्यून की बेटी के खे़में में सब हसीनों को क़त्ल किया!
उसने अपने क़हर की आग को उँडेल दिया।
5 ख़ुदावन्द दुश्मन की तरह हो गया, वह इस्राईल को निगल गया,
वह उसके तमाम महलों को निगल गया, उसने उसके क़िले' मिस्मार कर दिए,
और उसने दुख़्तर — ए — यहूदाह में मातम — ओ नौहा बहुतायत से कर दिया।
6 और उसने अपने घर को एक बार में ही बर्बाद कर दिया,
गोया ख़ैमा — ए — बाग़ था; और अपने मजमे' के मकान को बर्बाद कर दिया;
ख़ुदावन्द ने मुक़द्दस 'ईदों और सबतों को सिय्यून से फ़रामोश करा दिया,
और अपने क़हर के जोश में बादशाह और काहिन को ज़लील किया।
7 ख़ुदावन्द ने अपने मज़बह को रद्द किया,
उसने अपने मक़दिस से नफ़रत की,
उसके महलों की दीवारों को दुश्मन के हवाले कर दिया;
उन्होंने ख़ुदावन्द के घर में ऐसा शोर मचाया, जैसा 'ईद के दिन।
8 ख़ुदावन्द ने दुख़्तर — ए — सिय्यून की दीवार गिराने का इरादा किया है;
उसने डोरी डाली है, और बर्बाद करने से दस्तबरदार नहीं हुआ;
उसने फ़सील और दीवार को मग़मूम किया; वह एक साथ मातम करती हैं।
9 उसके दरवाज़े ज़मीन में गर्क़ हो गए;
उसने उसके बेन्डों को तोड़कर बर्बाद कर दिया;
उसके बादशाह और उमरा बे — शरी'अत क़ौमों में हैं;
उसके नबी भी ख़ुदावन्द की तरफ़ से कोई ख़्वाब नहीं देखते।
10 दुख़्तर — ए — सिय्यून के बुज़ुर्ग ख़ाक नशीन और ख़ामोश हैं;
वह अपने सिरों पर ख़ाक डालते और टाट ओढ़ते हैं;
येरूशलेम की कुँवारियाँ ज़मीन पर सिर झुकाए हैं।
11 मेरी आँखें रोते — रोते धुंदला गईं,
मेरे अन्दर पेच — ओ — ताब है,
मेरी दुख़्तर — ए — क़ौम की बर्बादी के ज़रिए' मेरा कलेजा निकल आया;
क्यूँकि छोटे बच्चे और दूध पीने वाले शहर की गलियों में बेहोश हैं।
12 जब वह शहर की गलियों में के ज़ख्मियों की तरह ग़श खाते,
और जब अपनी माँओं की गोद में जाँ बलब होते हैं;
तो उनसे कहते हैं, कि ग़ल्ला और मय कहाँ है?
13 ऐ दुख़्तर — ए — येरूशलेम, मैं तुझे क्या नसीहत करूँ, और किससे मिसाल दूँ?
ऐ कुँवारी दुख्त़र — ए — सिय्यून, तुझे किस की तरह जान कर तसल्ली दूँ?
क्यूँकि तेरा ज़ख़्म समुन्दर सा बड़ा है; तुझे कौन शिफ़ा देगा?
14 तेरे नबियों ने तेरे लिए, बातिल और बेहूदा ख़्वाब देखे:और तेरी बदकिरदारी ज़ाहिर न की,
ताकि तुझे ग़ुलामी से वापस लाते:बल्कि तेरे लिए झूटे पैग़ाम और जिलावतनी के सामान देखे।
15 सब आने जानेवाले तुझ पर तालियाँ बजाते हैं;
वह दुख़्तर — ए — येरूशलेम पर सुसकारते और सिर हिलाते हैं,
के क्या, ये वही शहर है,
जिसे लोग कमाल — ए — हुस्न और फ़रहत — ए — जहाँ कहते थे?
16 तेरे सब दुश्मनों ने तुझ पर मुँह पसारा है;
वह सुसकारते और दाँत पीसते हैं; वो कहते हैं, हम उसे निगल गए;
बेशक हम इसी दिन के मुन्तज़िर थे;
इसलिए आ पहुँचा, और हम ने देख लिया
17 ख़ुदावन्द ने जो तय किया वही किया;
उसने अपने कलाम को, जो पुराने दिनों में फ़रमाया था, पूरा किया;
उसने गिरा दिया, और रहम न किया; और उसने दुश्मन को तुझ पर शादमान किया,
उसने तेरे मुख़ालिफ़ों का सींग बलन्द किया।
18 उनके दिलों ने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की,
ऐ दुख़्तर — ए — सिय्यून की फ़सील,
शब — ओ — रोज़ ऑसू नहर की तरह जारी रहें;
तू बिल्कुल आराम न ले; तेरी आँख की पुतली आराम न करे।
19 उठ रात को पहरों के शुरू' में फ़रियाद कर;
ख़ुदावन्द के हुजू़र अपना दिल पानी की तरह उँडेल दे;
अपने बच्चों की ज़िन्दगी के लिए, जो सब गलियों में भूक से बेहोश पड़े हैं,
उसके सामने में दस्त — ए — दु'आ बलन्द कर।
20 ऐ ख़ुदावन्द, नज़र कर, और देख, कि तू ने किससे ये किया!
क्या 'औरतें अपने फल या'नी अपने लाडले बच्चों को खाएँ?
क्या काहिन और नबी ख़ुदावन्द के मक़्दिस में क़त्ल किए जाएँ?
21 बुज़ुर्ग — ओ — जवान गलियों में ख़ाक पर पड़े हैं;
मेरी कुँवारियाँ और मेरे जवान तलवार से क़त्ल हुए;
तू ने अपने क़हर के दिन उनको क़त्ल किया;
तूने उनको काट डाला, और रहम न किया।
22 तूने मेरी दहशत को हर तरफ से गोया 'ईद के दिन बुला लिया,
और ख़ुदावन्द के क़हर के दिन न कोई बचा, न बाक़ी रहा;