यूएल मुसन्निफ़ की पहचान यूएल की किताब बयान करती है कि उसका मुसन्निफ़ यूएल नबी है (यूएल 1:1) हम यूएल नबी की बाबत उसके कुछ शख़सी तफ़सील के अलावा ज़्यादा नहीं जानते जो इस किताब में ख़ुद पाई जाती है। उसने ख़ुद को फ़तुएल का बेटा बतौर पहचान कराया, यहूदा के लोगों में मनादी की और यरूशलेम के लिए दिलचस्पी के एक बड़े बर्ताव का इज़्हार किया यूएल ने भी काहिनों और मक़दिस की बाबत कई एक ख़ामियाँ पेश की यह इशारा करते हुए कि यहूदा में इबादत के दौरान किस तरह बे तकल्लुफ़ी का बर्ताव होता है; (यूएल 1:13-14; 2:14,17)। लिखे जाने की तारीख़ और जगह इस की तस्नीफ की तारीख तक़रीबन 835 - 600 क़ब्ल मसीह के बीच है। यूएल ग़ालिबन पुराने अहदनामे की तारीख के फ़ारस के दौर में रहता था। उन दिनों में फ़ारस के लोगों ने कुछ यहूदियों को इजाज़त दी कि वह यरूशलेम वापस आयें। युएल मक़दिस से ख़ूब वाक़िफ़ था इसलिए उस की बहाली के बाद इस का हवाला दिया जाना चाहिए। क़बूल कुनिन्दा पाने वाले बनी इस्राईल और बाद में कलाम के कारिईन। असल मक़सूद ख़ुदा रहम करने वाला है और उन के लिए बख़शिश अता करता है जो सच्चे दिल से तौबा करते हैं। इस किताब को दो बड़े वाक़िआत से रोशनास किया गया है एक है टिड्डियों की मदाक़िलत और दूसरा है रूह के जज़बात का पुर जोश इज़्हार। इसकी इब्तिदाई तकमाल को आ‘माल के दूसरे बाब में पतरस पेन्तीकुस्त के दिन रूह के नाज़िल होने बतौर पेश करता है। मौज़’अ ख़ुदावन्द का दिन। बैरूनी ख़ाका 1. इस्राईल का टिड्डियों के ज़रीए हमलवार होना — 1:1-20 2. ख़ुदा की सज़ा — 2:1-17 3. इस्राईल की बहाली — 2:18-32 4. क़ौमों पर ख़ुदा का इन्साफ़ फिर उसका अपने लोगों के दर्मियान सुकूनत करना — 3:1-21
1 ख़ुदावन्द का कलाम जो यूएल — बिन फ़तूएल पर नाज़िल हुआ:
टिड्डियों के कहर पर मातम मनाना 2 ऐ बूढ़ो, सुनो, ऐ ज़मीन के सब रहने वालों, कान लगाओ! क्या तुम्हारे या तुम्हारे बाप — दादा के दिनों में कभी ऐसा हुआ? 3 तुम अपनी औलाद से इसका तज़किरा करो, और तुम्हारी औलाद अपनी औलाद से, और उनकी औलाद अपनी नसल से बयान करे। 4 जो कुछ टिड्डियों के एक ग़ोल से बचा, उसे दूसरा ग़ोल निगल गया; और जो कुछ दूसरे से बचा, उसे तीसरा ग़ोल चट कर गया; और जो कुछ तीसरे से बचा, उसे चौथा ग़ोल खा गया। 5 ऐ मतवालो, जागो और मातम करो; ऐ मयनौशी करने वालों, नई मय के लिए चिल्लाओ, क्यूँकि वह तुम्हारे मुँह से छिन गई है। 6 क्यूँकि मेरे मुल्क पर एक क़ौम चढ़ आई है, उनके दाँत शेर — ए — बबर के जैसे हैं, और उनकी दाढ़ें शेरनी की जैसी हैं। 7 उन्होंने मेरे ताकिस्तान को उजाड़ डाला, और मेरे अंजीर के दरख़्तों को तोड़ डाला; उन्होंने उनको बिल्कुल छील छालकर फेंक दिया, उनकी डालियाँ सफ़ेद निकल आईं। 8 तुम मातम करो, जिस तरह दुल्हन अपनी जवानी के शौहर के लिए टाट ओढ़ कर मातम करती है। 9 नज़्र की कु़र्बानी और तपावन ख़ुदावन्द के घर से मौकूफ़ हो गए। ख़ुदावन्द के ख़िदमत गुज़ार, काहिन मातम करते हैं। 10 खेत उजड़ गए, ज़मीन मातम करती है, क्यूँकि ग़ल्ला ख़राब हो गया है; नई मय ख़त्म हो गई, और तेल बर्बाद हो गया। 11 ऐ किसानो, शर्मिन्दगी उठाओ, ऐ ताकिस्तान के बाग़बानों, मातम करो, क्यूँकि गेहूँ और जौ और मैदान के तैयार खेत बर्बाद हो गए। 12 ताक ख़ुश्क हो गई; अंजीर का दरख़्त मुरझा गया। अनार और खजूर और सेब के दरख़्त, हाँ मैदान के तमाम दरख़्त मुरझा गए; और बनी आदम से खुशी जाती रही'। 13 ऐ काहिनो, कमरें कस कर मातम करो, ऐ मज़बह पर ख़िदमत करने वालो, वावैला करो। ऐ मेरे ख़ुदा के ख़ादिमों, आओ रात भर टाट ओढ़ो! क्यूँकि नज़्र की क़ुर्बानी और तपावन तुम्हारे ख़ुदा के घर से मौक़ूफ़ हो गए। 14 रोज़े के लिए एक दिन मुक़द्दस करो; पाक महफ़िल बुलाओ। बुज़ुर्गों और मुल्क के तमाम बाशिंदों को ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर में जमा' करके उससे फ़रियाद करो 15 उस दिन पर अफ़सोस! क्यूँकि ख़ुदावन्द का दिन नज़दीक है, वह क़ादिर — ए — मुतलक़ की तरफ़ से बड़ी हलाकत की तरह आएगा। 16 क्या हमारी आँखों के सामने रोज़ी मौक़ूफ़ नहीं हुई, और हमारे ख़ुदा के घर से खु़शीओ — शादमानी जाती नहीं रही? 17 बीज ढेलों के नीचे सड़ गया; ग़ल्लाख़ाने ख़ाली पड़े हैं, खत्ते तोड़ डाले गए; क्यूँकि खेती सूख गई। 18 जानवर कैसे कराहते हैं! गाय — बैल के गल्ले परेशान हैं क्यूँके उनके लिए चरागाह नहीं है; हाँ, भेड़ों के गल्ले भी बर्बाद हो गए हैं। 19 ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे सामने फ़रियाद करता हूँ। क्यूँकि आग ने वीराने की चरागाहों को जला दिया, और शो'ले ने मैदान के सब दरख़्तों को राख कर दिया है। 20 जंगली जानवर भी तेरी तरफ़ निगाह रखते हैं, क्यूँकि पानी की नदियाँ सूख गई, और आग वीराने की चरागाहों को खा गईं।
यूएल 2 ->
1 ख़ुदावन्द का कलाम जो यूएल — बिन फ़तूएल पर नाज़िल हुआ: