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इलिफ़ज़ के जवाब का जारी रहना
1 ज़रा पुकार क्या कोई है जो तुझे जवाब देगा?
और मुक़द्दसों में से तू किसकी तरफ़ फिरेगा?
2 क्यूँकि कुढ़ना बेवक़ूफ़ को मार डालता है,
और जलन बेवक़ूफ़ की जान ले लेती है।
3 मैंने बेवक़ूफ़ को जड़ पकड़ते देखा है,
लेकिन बराबर उसके घर पर ला'नत की।
4 उसके बाल — बच्चे सलामती से दूर हैं;
वह फाटक ही पर कुचले जाते हैं,
और कोई नहीं जो उन्हें छुड़ाए।
5 भूका उसकी फ़सल को खाता है,
बल्कि उसे काँटों में से भी निकाल लेता है।
और प्यासा उसके माल को निगल जाता है।
6 क्यूँकि मुसीबत मिट्टी में से नहीं उगती।
न दुख ज़मीन में से निकलता है।
7 बस जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही को उड़ती हैं,
वैसे ही इंसान दुख के लिए पैदा हुआ है।
8 लेकिन मैं तो ख़ुदा ही का तालिब रहूँगा,
और अपना मु'आमिला ख़ुदा ही पर छोड़ूँगा।
9 जो ऐसे बड़े बड़े काम जो बयान नहीं हो सकते,
और बेशुमार 'अजीब काम करता है।
10 वही ज़मीन पर पानी बरसाता,
और खेतों में पानी भेजता है।
11 इसी तरह वह हलीमों को ऊँची जगह पर बिठाता है,
और मातम करनेवाले सलामती की सरफ़राज़ी पाते हैं।
12 वह 'अय्यारों की तदबीरों को बातिल कर देता है।
यहाँ तक कि उनके हाथ उनके मक़सद को पूरा नहीं कर सकते।
13 वह होशियारों की उन ही की चालाकियों में फसाता है,
और टेढ़े लोगों की मशवरत जल्द जाती रहती है।
14 उन्हें दिन दहाड़े अँधेरे से पाला पड़ता है,
और वह दोपहर के वक़्त ऐसे टटोलते फिरते हैं जैसे रात को।
15 लेकिन मुफ़लिस को उनके मुँह की तलवार,
और ज़बरदस्त के हाथ से वह बचालेता है।
16 जो ग़रीब को उम्मीद रहती है,
और बदकारी अपना मुँह बंद कर लेती है।
17 देख, वह आदमी जिसे ख़ुदा तम्बीह देता है ख़ुश क़िस्मत है।
इसलिए क़ादिर — ए — मुतलक़ की तादीब को बेकार न जान।
18 क्यूँकि वही मजरूह करता और पट्टी बाँधता है।
वही ज़ख़्मी करता है और उसी के हाथ शिफ़ा देते हैं।
19 वह तुझे छ: मुसीबतों से छुड़ाएगा,
बल्कि सात में भी कोई आफ़त तुझे छूने न पाएगी।
20 काल में वह तुझ को मौत से बचाएगा,
और लड़ाई में तलवार की धार से।
21 तू ज़बान के कोड़े से महफ़ूज़ “रखा जाएगा,
और जब हलाकत आएगी तो तुझे डर नहीं लगेगा।
22 तू हलाकत और ख़ुश्क साली पर हँसेगा,
और ज़मीन के दरिन्दों से तुझे कुछ ख़ौफ़ न होगा।
23 मैदान के पत्थरों के साथ तेरा एका होगा,
और जंगली जानवर तुझ से मेल रखेंगे।
24 और तू जानेगा कि तेरा ख़ेमा महफ़ूज़ है,
और तू अपने घर में जाएगा और कोई चीज़ ग़ाएब न पाएगा।
25 तुझे यह भी मा'लूम होगा कि तेरी नसल बड़ी,
और तेरी औलाद ज़मीन की घास की तरह बढ़ेगी।
26 तू पूरी उम्र में अपनी क़ब्र में जाएगा,
जैसे अनाज के पूले अपने वक़्त पर जमा' किए जाते हैं।
27 देख, हम ने इसकी तहक़ीक़ की और यह बात यूँ ही है।