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12
अय्यूब का चौथा बयान: जूफ़र को जवाब
1 तब अय्यूब ने जवाब दिया,
2 बेशक आदमी तो तुम ही हो “
और हिकमत तुम्हारे ही साथ मरेगी।
3 लेकिन मुझ में भी समझ है,
जैसे तुम में है, मैं तुम से कम नहीं।
भला ऐसी बातें जैसी यह हैं, कौन नहीं जानता?
4 मैं उस आदमी की तरह हूँ जो अपने पड़ोसी के लिए हँसी का निशाना बना है।
मैं वह आदमी था जो ख़ुदा से दुआ करता और वह उसकी सुन लेता था।
रास्तबाज़ और कामिल आदमी हँसी का निशाना होता ही है।
5 जो चैन से है उसके ख़्याल में दुख के लिए हिकारत होती है;
यह उनके लिए तैयार रहती है जिनका पाँव फिसलता है।
6 डाकुओं के ख़ेमे सलामत रहते हैं,
और जो ख़ुदा को गु़स्सा दिलाते हैं, वह महफू़ज़ रहते हैं;
उन ही के हाथ को ख़ुदा ख़ूब भरता है।
7 हैवानों से पूछ और वह तुझे सिखाएँगे,
और हवा के परिन्दों से दरियाफ़्त कर और वह तुझे बताएँगे।
8 या ज़मीन से बात कर, वह तुझे सिखाएगी;
और समन्दर की मछलियाँ तुझ से बयान करेंगी।
9 कौन नहीं जानता
कि इन सब बातों में ख़ुदावन्द ही का हाथ है जिसने यह सब बनाया?
10 उसी के हाथ में हर जानदार की जान,
और कुल बनी आदम की जान ताक़त है।
11 क्या कान बातों को नहीं परख लेता,
जैसे ज़बान खाने को चख लेती है?
12 बुड्ढों में समझ होती है
, और उम्र की दराज़ी में समझदारी।
13 ख़ुदा में समझ और कु़व्वत है,
उसके पास मसलहत और समझ है।
14 देखो, वह ढा देता है तो फिर बनता नहीं।
वह आदमी को बंद कर देता है, तो फिर खुलता नहीं।
15 देखो, वह मेंह को रोक लेता है, तो पानी सूख जाता है।
फिर जब वह उसे भेजता है, तो वह ज़मीन को उलट देता है।
16 उसमें ताक़त और ता'सीर की कु़व्वत है।
धोका खाने वाला और धोका देने वाला दोनों उसी के हैं।
17 वह सलाहकारों को लुटवा कर ग़ुलामी में ले जाता है,
और 'अदालत करने वालों को बेवकू़फ़ बना देता है।
18 वह शाही बन्धनों को खोल डालता है,
और बादशाहों की कमर पर पटका बाँधता है।
19 वह काहिनों को लुटवाकर ग़ुलामी में ले जाता,
और ज़बरदस्तों को पछाड़ देता है।
20 वह 'ऐतमाद वाले की क़ुव्वत — ए — गोयाई दूर करता
और बुज़ुर्गों की समझदारी को' छीन लेता है।
21 वह हाकिमों पर हिकारत बरसाता,
और ताक़तवरों की कमरबंद को खोल डालता' है।
22 वह अँधेरे में से गहरी बातों को ज़ाहिर करता,
और मौत के साये को भी रोशनी में ले आता है
23 वह क़ौमों को बढ़ाकर उन्हें हलाक कर डालता है;
वह क़ौमों को फैलाता और फिर उन्हें समेट लेता है।
24 वह ज़मीन की क़ौमों के सरदारों की 'अक़्ल उड़ा देता
और उन्हें ऐसे वीरान में भटका देता है जहाँ रास्ता नहीं।
25 वह रोशनी के बगै़र तारीकी में टटोलते फिरते हैं,
और वह उन्हें ऐसा बना देता है कि मतवाले
की तरह लड़खड़ाते हुए चलते हैं।

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