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होसी'अ का इस्राईल को सज़ा सुनाना
1 ऐ इस्राईल, दूसरी क़ौमों की तरह ख़ुशी — ओ — शादमानी न कर, क्यूँकि तू ने अपने ख़ुदा से बेवफ़ाई की है। तूने हर एक खलीहान में इश्क से उजरत तलाश की है। 2 खलीहान और मय के हौज़ उनकी परवरिश के लिए काफ़ी न होंगे और नई मय किफ़ायत न करेगी। 3 वह ख़ुदावन्द के मुल्क में न बसेंगे, बल्कि इफ़्राईम मिस्र को वापस जाएगा और वह असूर में नापाक चीज़ें खाएँगे। 4 वह मय को ख़ुदावन्द के लिए न तपाएँगे और वह उसके मक़बूल न होंगे, उनकी क़ुर्बानियाँ उनके लिए नौहागरों की रोटी की तरह होंगी। उनको खाने वाले नापाक होंगे, क्यूँकि उनकी रोटियाँ उन ही की भूक के लिए होंगी और ख़ुदावन्द के घर में दाख़िल न होंगी। 5 मजमा' — ए — मुक़द्दस के दिन और ख़ुदावन्द की 'ईद के दिन क्या करोगे? 6 क्यूँकि वो तबाही के ख़ौफ़ से चले गए, लेकिन मिस्र उनको समेटेगा। मोफ़ उनको दफ़न करेगा। उनकी चाँदी के अच्छे ख़ज़ानों पर बिच्छू बूटी क़ाबिज़ होगी। उनके खे़मों में काँटे उगेंगे। 7 सज़ा के दिन आ गए, बदले का वक़्त आ पहुँचा। इस्राईल को मा'लूम हो जाएगा कि उसकी बदकिरदारी की कसरत और 'अदावत की ज़्यादती के ज़रिए' नबी बेवक़ूफ़ है। रूहानी आदमी दीवाना है। 8 इफ़्राईम मेरे ख़ुदा की तरफ़ से निगहबान है। नबी अपनी तमाम राहों में चिड़ीमार का जाल है। वह अपने ख़ुदा के घर में 'अदावत है। 9 उन्होंने अपने आप को निहायत ख़राब किया जैसा जिब'आ के दिनों में हुआ था। वह उनकी बदकिरदारी को याद करेगा और उनके गुनाहों की सज़ा देगा। 10 मैंने इस्राईल को बियाबानी अंगूरों की तरह पाया। तुम्हारे बाप — दादा को अंजीर के पहले पक्के फल की तरह देखा जो दरख़्त के पहले मौसम में लगा हो, लेकिन वह बा'ल फ़गूर के पास गए और अपने आप को उस ज़रिए' रुस्वाई के लिए मख़्सूस किया और अपने उस महबूब की तरह मकरूह हुए। 11 अहल — ए — इफ़्राईम की शौकत परिन्दे की तरह उड़ जाएगी, विलादत — ओ — हामिला का बुजूद उनमें न होगा और क़रार — ए — हमल ख़त्म हो जाएगा। 12 अगरचे वह अपने बच्चों को पालें, तोभी मैं उनको छीन लूँगा, ताकि कोई आदमी बाकी न रहे। क्यूँकि जब मैं भी उनसे दूर हो जाऊँ, तो उनकी हालत क़ाबिल — ए — अफ़सोस होगी। 13 इफ़्राईम को मैं देखता हूँ कि वो सूर की तरह उम्दा जगह में लगाया गया, लेकिन इफ़्राईमअपने बच्चों को क़ातिल के सामने ले जाएगा। 14 ऐ ख़ुदावन्द, उनको दे; तू उनको क्या देगा? उनको इस्क़ात — ए — हमल और ख़ुश्क पिस्तान दे। 15 उनकी सारी शरारत जिल्जाल में है। हाँ, वहाँ मैंने उनसे नफ़रत की। उनकी बदआ'माली की वजह से मैं उनको अपने घर से निकाल दूँगा और फिर उनसे मुहब्बत न रख्खूँगा। उनके सब उमरा बाग़ी हैं। 16 बनी इफ़्राईम तबाह हो गए। उनकी जड़ सूख गई। उनके यहाँ औलाद न होगी और अगर औलाद हो भी तो मैं उनके प्यारे बच्चों को हलाक करूँगा। 17 मेरा ख़ुदा उनको छोड़ देगा, क्यूँकि वो उसके सुनने वाले नहीं हुए और वह अक़वाम — ए — 'आलम में आवारा फिरेंगे।
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