4 अपने घर का अच्छी तरह बन्दोबस्त करता हो, और अपने बच्चों को पूरी नर्मी से ताबे रखता हो। 5 (जब कोई अपने घर ही का बन्दोबस्त करना नहीं जानता तो ख़ुदा कि कलीसिया की देख भाल क्या करेगा?)
6 नया शागिर्द न हो, ताकि घमण्ड करके कहीं इब्लीस की सी सज़ा न पाए। 7 और बाहर वालों के नज़दीक भी नेक नाम होना चाहिए, ताकि मलामत में और इब्लीस के फन्दे में न फँसे
8 इसी तरह ख़ादिमों को भी नर्म होना चाहिए दो ज़बान और शराबी और नाजायज़ नफ़ा का लालची ना हो 9 और ईमान के भेद को पाक दिल में हिफ़ाज़त से रख्खें। 10 और ये भी पहले आज़माए जाएँ, इसके बाद अगर बे गुनाह ठहरें तो ख़िदमत का काम करें।
11 इसी तरह'औरतों को भी संजीदा होना चाहिए; तोहमत लगाने वाली न हों, बल्कि परहेज़गार और सब बातों में ईमानदार हों। 12 ख़ादिम एक एक बीवी के शौहर हों और अपने अपने बच्चों और घरों का अच्छी तरह बन्दोबस्त करते हों। 13 क्यूँकि जो ख़िदमत का काम बख़ूबी अंजाम देते हैं, वो अपने लिए अच्छा मर्तबा और उस ईमान में जो मसीह ईसा पर है, बड़ी दिलेरी हासिल करते हैं।
14 मैं तेरे पास जल्द आने की उम्मीद करने पर भी ये बातें तुझे इसलिए लिखता हूँ, 15 कि अगर मुझे आने में देर हो, तो तुझे मा'लूम हो जाए कि ख़ुदा के घर, या'नी ज़िन्दा ख़ुदा की कलीसिया में जो हक़ का सुतून और बुनियाद है, कैसा बर्ताव करना चाहिए।
16 इस में कलाम नहीं कि