3 लेकिन मेरे नज़दीक ये निहायत छोटी बात है कि तुम या कोई इंसानी अदालत मुझे परखे:बल्कि मैं ख़ुद भी अपने आप को नहीं परखता। 4 क्यूँकि मेरा दिल तो मुझे मलामत नहीं करता मगर इस से मैं रास्तबाज़ नहीं ठहरता, बल्कि मेरा परखने वाला ख़ुदावन्द है।
5 पस जब तक ख़ुदावन्द न आए, वक़्त से पहले किसी बात का फ़ैसला न करो; वही तारीकी की पोशीदा बातें रौशन कर देगा और दिलों के मन्सूबे ज़ाहिर कर देगा और उस वक़्त हर एक की ता'रीफ़ ख़ुदा की तरफ़ से होगी।
6 ऐ भाइयों! मैने इन बातों में तुम्हारी ख़ातिर अपना और अपुल्लोस का ज़िक्र मिसाल के तौर पर किया है,
8 तुम तो पहले ही से आसूदा हो और पहले ही से दौलतमन्द हो और तुम ने हमारे बग़ैर बादशाही की: और क़ाश कि तुम बादशाही करते ताकि हम भी तुम्हारे साथ बादशाही करते। 9 मेरी दानिस्त में ख़ुदा ने हम रसूलों को सब से अदना ठहराकर उन लोगों की तरह पेश किया है जिनके क़त्ल का हुक्म हो चुका हो; क्यूँकि हम दुनिया और फ़रिश्तों और आदमियों के लिए एक तमाशा ठहरे।
10 हम मसीह की ख़ातिर बेवक़ूफ़ हैं मगर तुम मसीह में अक़्लमन्द हो: हम कमज़ोर हैं और तुम ताक़तवर तुम इज़्ज़त दार हो: और हम बे'इज़्ज़त। 11 हम इस वक़्त तक भुखे प्यासे नंगे हैं और मुक्के खाते और आवारा फिरते हैं।
12 और अपने हाथों से काम करके मशक़्क़त उठाते हैं लोग बुरा कहते हैं हम दुआ देते हैं वो सताते हैं हम सहते हैं। 13 वो बदनाम करते हैं हम मिन्नत समाजत करते हैं हम आज तक दुनिया के कूड़े और सब चीज़ों की झड़न की तरह हैं।
14 मैं तुम्हें शर्मिन्दा करने के लिए ये नहीं लिखता: बल्कि अपना प्यारा बेटा जानकर तुम को नसीहत करता हूँ। 15 क्यूँकि अगर मसीह में तुम्हारे उस्ताद दस हज़ार भी होते तोभी तुम्हारे बाप बहुत से नहीं: इसलिए कि मैं ही इन्जील के वसीले से मसीह ईसा में तुम्हारा बाप बना। 16 पस मैं तुम्हारी मिन्नत करता हूँ कि मेरी तरह बनो।
17 इसी वास्ते मैंने तीमुथियुस को तुम्हारे पास भेजा; कि वो ख़ुदावन्द में मेरा प्यारा और दियानतदार बेटा है और मेरे उन तरीक़ों को जो मसीह में हैं तुम्हें याद दिलाएगा; जिस तरह मैं हर जगह हर कलीसिया में ता'लीम देता हूँ। 18 कुछ ऐसी शेख़ी मारते हैं गोया कि तुम्हारे पास आने ही का नहीं।
19 लेकिन ख़ुदावन्द ने चाहा तो मैं तुम्हारे पास जल्द आऊँगा और शेख़ी बाज़ों की बातों को नहीं, बल्कि उनकी क़ुदरत को मा'लूम करूँगा। 20 क्यूँकि ख़ुदा की बादशाही बातों पर नहीं, बल्कि क़ुदरत पर मौक़ूफ़ है। 21 तुम क्या चाहते हो कि मैं लकड़ी लेकर तुम्हारे पास आऊँ या मुहब्बत और नर्म मीज़ाजी से?
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