तीतुस को नाम पौलुस प्रेरित की चिट्ठी परिचय तीतुस की किताब पौलुस कि चार चिट्ठी म सी एक आय जेक मण्डली को बजाय कोयी आदमी ख सम्बोधित करयो जात होतो। दूसरी तीन चिट्ठी १ तीमुथियुस, २ तीमुथियुस अऊर फिलेमोन आय। पौलुस तीतुस ख लिख रह्यो होतो, पर ओन यो भी लिख्यो कि चिट्ठी सार्वजनिक रूप सी बड़ो रीति सी पढ़्यो जाय सकय हय। हम येख जान सकजे हय कहालीकि ऊ एक प्रेरित को रूप म अपनी योग्यता बतावय हय, जो कि तीतुस पहिले सीच जानत होतो। पौलुस न शायद मसीह को जनम को बाद ६३-६५ साल को बीच या चिट्ठी ख लिख्यो होतो। पौलुस न तीतुस ख क्रेते द्वीप पर मौजूद मण्डली को नेतृत्व करन को निर्देश दियो होतो। पौलुस न अगुवा ख मण्डली को मुखिया को चुनन अऊर प्रशिक्षण पर निर्देश देन लायी या चिट्ठी ख लिख्यो होतो। ओन तीमुथियुस ख अपनी चिट्ठियों म सब ख एक जसो निर्देश दियो। ओकी चिट्ठी म वर्नन करयो गयो हय कि कसो मण्डली को अगुवा ख उंचो पद वालो मान क आयोजित करयो जानो चाहिये। मण्डली को अगुवा ख अज नेतृत्व म जरूरी स्तर पर सावधानी सी ध्यान देनो चाहिये। रूप-रेखा १. पौलुस न मसीही अगुवा की नियुक्त करन लायी तीतुस ख निर्देश दियो। १:१-१६ २. फिर ऊ लोगों ख मसीही जीवन जीन लायी तैयार करन लायी भी निर्देश देवय हय। २:१–३:११ ३. आखिरकार, पौलुस अपनी कुछ योजनावों ख साझा कर क् अऊर बधायी भेज क चिट्ठी लिखनो बन्द करय हय। ३:१२-१५
1 पौलुस को तरफ सी जो परमेश्वर को सेवक अऊर यीशु मसीह को प्रेरित हय।
4 [a]तीतुस को नाम, जो विश्वास को सहभागिता को बिचार सी मोरो सच्चो बेटा आय!
10 कहालीकि बहुत सो लोग नियम ख तोड़न वालो, बकवास करन वालो अऊर धोका देन वालो आय; विशेष कर यहूदी म सी आयो हय। 11 यो जरूरी हय कि इन्को मुंह बन्द करनो चाहिये। कहालीकि हि लोग बुरो उपदेश की कमायी लायी बेकार बाते सिखाय क घर को घर बिगाड़ देवय हंय। 12 उन म सी एक क्रेते कोच भविष्यवक्ता न, लोगों को बारे म खुद कह्यो हय जो उन्कोच आय, कह्यो हय, “क्रेती को निवासी हमेशा झूठ बोलय हय, दुष्ट पशु, अऊर आलसी पेटू होवय हंय।” 13 या गवाही सच हय, येकोलायी उन्ख कठोरता सी चेतावनी दियो कर कि हि विश्वास म पक्को होय जाये, 14 अऊर यहूदियों की कथा कहानियों अऊर उन आदमियों की आज्ञावों पर मन नहीं लगाये, जो सच ख इन्कार करय हय। 15 शुद्ध लोगों लायी सब चिजे शुद्ध हंय, पर अशुद्ध अऊर अविश्वासियों को लायी कुछ भी शुद्ध नहाय, बल्की उनकी बुद्धी अऊर विवेक दोयी अशुद्ध हंय। 16 हि कह्य हंय कि हम परमेश्वर ख जानजे हंय, पर अपनो कामों सी ओको इन्कार करजे हंय; कहालीकि हि घृणित अऊर आज्ञा नहीं मानन वालो हंय, अऊर कोयी अच्छो काम को लायक नहाय।
तीतुस 2 ->