2 “येकोलायी जब तय दान करय हय, त अपनो आगु पोंगा मत बजवा, जसो कपटी, सभावों अऊर गलियो म करय हंय, ताकि लोग उन्की बड़ायी करे। मय तुम सी सच कहू हय कि हि अपनो प्रतिफल पा लियो। 3 पर जब तय दान करय, त जो तोरो दायो हाथ करय हय, ओख तोरो बायो हाथ नहीं जाननो पाये। 4 ताकि तोरो दान गुप्त रहे, अऊर तब तोरो बाप जो गुप्त म देखय हय, तोख प्रतिफल देयेंन।”
5 [b]“जब तय प्रार्थना करय हय, त कपटियों को जसो नहीं हो, कहालीकि लोगों ख दिखावन लायी यहूदियों को सभागृह म अऊर रस्ता कि मोड़ों पर खड़ो होय क प्रार्थना करनो उन्ख पसंद हय। मय तुम सी सच कहू हय कि हि अपनो प्रतिफल पा लियो 6 पर जब तय प्रार्थना करय हय, त अपनी कोठरी म जा; अऊर दरवाजा बन्द कर क् अपनो बाप सी जो गुप्त म हय प्रार्थना कर। तब तोरो बाप जो गुप्त म देखय हय, तोख प्रतिफल देयेंन।”
7 प्रार्थना करतो समय गैरयहूदियों को जसो बक-बक मत करो, कहालीकि हि समझय हंय कि उन्को बहुत बोलनो सी उन्की सुनी जायेंन। 8 येकोलायी तुम उन्को जसो मत बनो, कहालीकि तुम्हरो बाप तुम्हरो मांगनो सी पहिलेच जानय हय कि तुम्हरी का-का जरूरत हंय। 9 येकोलायी तुम यो रीति सी प्रार्थना करतो रहो:
14 [c]“येकोलायी यदि तुम आदमी को अपराध माफ करो, त तुम्हरो स्वर्गीय पिता भी तुम्ख माफ करेंन। 15 अऊर यदि तुम लोगों को अपराध माफ नहीं करो, त तुम्हरो स्वर्गीय पिता भी तुम्हरो अपराध माफ नहीं करेंन।”
19 [d]“अपनो लायी धरती पर धन जमा मत करो, जित कीड़ा अऊर जंग लगय हंय, अऊर चोर तिजोरी तोड़ क चोरी करय हंय। 20 पर अपनो लायी स्वर्ग म धन जमा करो, जित नहीं त कीड़ा अऊर नहीं जंग लगय हंय, अऊर जित चोर तिजोरी तोड़ क चोरी करय हंय। 21 कहालीकि जित तोरो धन हय उत तोरो मन भी लग्यो रहेंन।”
22 “शरीर को दीया आंखी आय: येकोलायी यदि तोरी आंखी अच्छी हय, त तोरो पूरो शरीर भी उजाड़ो होयेंन। 23 पर यदि तोरी आंखी बुरी हय, त तोरो पूरो शरीर अन्धारो म रहेंन; त अगर तोरो म उजाड़ो जो अन्धारो हय, त यो कितनो गहरो होयेंन!”
24 “कोयी आदमी दोय मालिक की सेवा नहीं कर सकय, कहालीकि ऊ एक सी दुश्मनी अऊर दूसरों सी प्रेम रखेंन, यां एक सी मिल्यो रहेंन अऊर दूसरों ख तुच्छ जानेंन। तुम परमेश्वर अऊर धन दोयी की सेवा नहीं कर सकय।”
25 “येकोलायी मय तुम सी कहू हय कि अपनो जीव लायी यो चिन्ता मत करजो कि हम का खाबो अऊर का पीबो; अऊर न अपनो शरीर लायी कि का पहिनबो। का जीव भोजन सी, अऊर शरीर कपड़ा सी बढ़ क नहाय?” 26 आसमान को पक्षिंयों ख देखो! हि नहीं बोवय हंय, न काटय हंय, अऊर न अपनो घोसला म जमा करय हंय; फिर भी तुम्हरो स्वर्गीय पिता उन्ख खिलावय हय। का तुम उन्को सी जादा कीमत नहीं रखय? 27 तुम म सी असो कौन हय, जो चिन्ता करन सी अपनी उमर म एक घड़ी भी बढ़ाय सकय हय?
28 अऊर कपड़ा लायी कहाली चिन्ता करय हय? जंगली फूलो ख देखो कि हि कसो बढ़य हंय! हि नहीं त मेहनत करय, न काटय हंय। 29 तब भी मय तुम सी कहू हय कि सुलैमान भी, अपनो पूरो वैभव म उन्म सी कोयी को जसो कपड़ा पहिन्यो हुयो नहीं होतो। 30 येकोलायी जब परमेश्वर मैदान को घास ख, जो अज हय अऊर कल आगी म झोक दियो जायेंन, असो कपड़ा पहिनावय हय, त हे अविश्वासियों, तुम्ख ऊ इन सी बढ़ क कहाली नहीं पहिनायेंन?
31 “येकोलायी तुम चिन्ता कर क् यो मत कहजो कि हम का खाबो, यां का पीबो, यां का पहिनबो। 32 कहालीकि गैरयहूदी इन सब चिजों की खोज म रह्य हंय, पर तुम्हरो स्वर्गीय पिता जानय हय कि तुम्ख इन सब चिजों की जरूरत हय। 33 येकोलायी पहिले तुम परमेश्वर को राज्य अऊर ओको सच्चायी की खोज करो त यो सब चिजे भी तुम्ख मिल जायेंन। 34 येकोलायी कल की चिन्ता मत करो, कहालीकि कल को दिन अपनी चिन्ता खुद कर लेयेंन; अज लायी अजच को दु:ख बहुत हय।”
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