3 येकोलायी ओको पर ध्यान करो, जेन अपनो विरोध म पापियों को इतनो विरोध सह लियो कि तुम निराश होय क हिम्मत मत छोड़ देवो। 4 तुम न पाप को विरुद्ध म संघर्ष करतो हुयो, तुम्ख इतनो नहीं सहनो पड़ेंन कि तुम्ख अपनो खून बहानो पड़ेंन; 5 का तुम ऊ प्रोत्साहन को शब्द ख जो परमेश्वर न ओको टुरा जान क तुम सी कह्यो का तुम भूल गयो हय:
14 सब को संग शान्ति को संग रहन अऊर पवित्र जीवन जीन लायी हर तरह सी कोशिश म रहो कहालीकि येको बिना कोयी भी प्रभु ख देख नहीं सकेंन। 15 अपनो आप की चौकसी करो ताकी कोयी परमेश्वर को अनुग्रह सी पीछू कड़वो रोप की जड़ी को जसो मत बड़ो ताकी ओको जहेर सी बहुत समस्या पैदा मत होय जाये। 16 कोयी भी अनैतिक अऊर अधार्मिक एसाव को जसो नहीं हो जेन एक बार को जेवन को बदला अपनो बड़ो बेटा होन को अधिकार बेच डाल्यो। 17 तुम जानय हय कि बाद म जब ओन अपनो बाप सी आशीर्वाद पानो चाह्यो त असफल गिन्यो गयो, अऊर रोय रोय क ओन आशीर्वाद पानो चाह्यो त पश्चाताप नहीं मिल्यो।
18 तुम आगी सी जलतो हुयो सिय्योन पहाड़ी को जवर नहीं आयो, जेक महसुस करयो जाय सकत होतो अऊर नहीं अन्धारो अऊर नहीं उदासिनता अऊर नहीं बवंडर को जवर आयो हय। जसो इस्राएली लोग आयो होतो। 19 अऊर तुरही की आवाज, अऊर बोलन वालो को असो शब्द को जवर नहीं आयो, जेको सुनन वालो न बिनती करी की अब हम सी अऊर बाते नहीं करी जाये। 20 कहालीकि हि ऊ आज्ञा ख नहीं सह सक्यो: “यदि कोयी भी प्रानी पहाड़ी ख छूवय त ओको पर पथराव करयो जाये।” 21 अऊर ऊ दृश्य असो डरावनो होतो कि मूसा न कह्यो, “मय बहुत भयभित अऊर थर थर काप रह्यो हय।”
22 पर तुम सिय्योन पहाड़ी, जीन्दो परमेश्वर को नगर, स्वर्गीय यरूशलेम अऊर हजारों स्वर्गदूतों की सभा म आय पहुंच्यो हय। 23 तुम परमेश्वर सी पहिले जनम्यो हुयो जिन्को नाम स्वर्ग म लिख्यो हुयो हंय, उन्की सभा म पहुंच चुक्यो हय। तुम ऊ परमेश्वर को जवर आयो हुयो हय जो सब लोगों को न्याय करय हय ताकी सच्चो लोगों की आत्मावों सिद्ध करे, 24 अऊर एक नयी वाचा को मध्यस्थ को यीशु अऊर छिड़काव को ऊ खून को जवर आयो चुक्यो हय, जो हाबील को खून की उम्मीद उत्तम चिजों की प्रतिज्ञा करय हय।
25 सावधान रहो, अऊर ऊ कहन वालो सी मुंह मत फिरावो, कहालीकि हि लोग जब धरती पर को चेतावनी देन वालो सी मुंह फेर क नहीं बच सके, त हम स्वर्ग पर सी चेतावनी देन वालो सी नकार क् कसो बच सकेंन? 26 ऊ समय त ओको शब्द न धरती ख हिलाय दियो, पर अब ओन या प्रतिज्ञा करी हय, “एक बार फिर मय केवल धरती ख बल्की आसमान ख भी हिलाय देऊ।” 27 अऊर यो शब्द “एक बार फिर” ऊ हर चिज को तरफ अंकित करय हय जो बाते निर्मित करी गयी हय वा हिलायी जायेंन अऊर अस्थिर रहेंन ताकी जो बाते हिलायी नहीं जाय सकय वा बनी रहेंन।
28 फिर जब हम्ख एक असो राज्य मिल रह्यो हय, जेक हिलायो नहीं जाय सकय, त आवो हम धन्यवादी बने अऊर आदर मिश्रित डर को संग परमेश्वर की उपासना करे, ताकी परमेश्वर ओख स्वीकार करे। 29 कहालीकि हमरो परमेश्वर भस्म करन वाली आगी आय।
<- इब्रानियों 11इब्रानियों 13 ->