2 “हे राजा अग्रिप्पा, जितनो बातों को यहूदी मोरो पर दोष लगावय हंय, अज तोरो आगु उन्को उत्तर देन म मय अपनो ख धन्य समझू हय, 3 विशेष कर क् येकोलायी कि तय यहूदियों को सब सम्बन्ध अऊर विवाद ख जानय हय। येकोलायी मय प्रार्थना करू हय, धीरज सी मोरी सुन।
4 “मोरो चाल-चलन सुरूवात सी अपनी जाति को बीच अऊर यरूशलेम म जसो होतो, ऊ सब यहूदी जानय हंय। 5 [a]यदि हि गवाही देनो चाहवय, त सुरूवात सी मोख पहिचानय हंय कि मय फरीसी होय क अपनो धर्म को सब सी सही पंथ को अनुसार जीवन पर चल्यो। 6 अऊर अब ऊ प्रतिज्ञा म आशा को वजह जो परमेश्वर न हमरो पूर्वजों सी करी होती, मोरो पर मुकद्दमा चल रह्यो हय। 7 उच प्रतिज्ञा को पूरो होन की आशा लगायो हुयो, हमरो बारा गोत्र अपनो पूरो मन सी रात-दिन परमेश्वर की सेवा करत आयो हंय। हे राजा, योच आशा को बारे म यहूदी मोर पर दोष लगावय हंय। 8 जब कि परमेश्वर मरयो हुयो ख जीन्दो करय हय, त तुम्हरो इत या बात कहाली विश्वास को लायक नहीं समझी जावय?
9 [b]“मय न भी समझ्यो होतो कि यीशु नासरी को नाम को विरोध म मोख बहुत कुछ करन ख होनो होतो। 10 अऊर मय न यरूशलेम म असोच करयो; अऊर महायाजक सी अधिकार पा क बहुत सो पवित्र लोगों ख जेलखाना म डाल्यो, अऊर जब हि मार डाल्यो जात होतो त मय भी उन्को विरोध म अपनी सहमती देत होतो। 11 हर आराधनालय म मय उन्ख ताड़ना दिलाय दिलाय क यीशु की निन्दा करवात होतो, इत तक कि गुस्सा को मारे असो पागल भय गयो कि बाहेर को नगरो म भी जाय क उन्ख सतावत होतो।
12 “योच धुन म जब मय महायाजक सी अधिकार अऊर आज्ञा-पत्र लेय क दमिश्क ख जाय रह्यो होतो; 13 त हे राजा, रस्ता म दोपहर को समय मय न आसमान सी सूरज को तेज सी भी बढ़ क एक ज्योति, अपनो अऊर अपनो संग चलन वालो को चारयी तरफ चमकतो हुयो दिख्यो। 14 जब हम सब जमीन पर गिर पड़्यो, त मय न इब्रानी भाषा म, मोरो सी यो कहत हुयो एक आवाज सुन्यो, ‘हे शाऊल, हे शाऊल, तय मोख कहाली सतावय हय? पैनी नोक पर लात मारनो तोरो लायी कठिन हय।’ 15 मय न कह्यो, ‘हे प्रभु, तय कौन आय?’ प्रभु न कह्यो, ‘मय यीशु आय, जेक तय सतावय हय। 16 पर तय उठ, अपनो पाय पर खड़ो हो; कहालीकि मय न तोख येकोलायी दर्शन दियो हय कि तोख उन बातों को भी सेवक अऊर गवाह ठहराऊ, जो तय न देख्यो हंय, अऊर उन्को भी जिन्को लायी मय तोख दर्शन देऊ। 17 अऊर मय तोख तोरो लोगों सी अऊर गैरयहूदियों सी छुड़ातो रहूं, जिन्को जवर मय अब तोख येकोलायी भेजू हय 18 कि तय उन्की आंखी खोल कि हि अन्धकार सी ज्योति को तरफ, अऊर शैतान को अधिकार सी परमेश्वर को तरफ फिरेंन; कि पापों की माफी अऊर उन लोगों को संग जो मोरो पर विश्वास करन सी पवित्र करयो गयो हंय, मीरास पाये।’
24 जब ऊ या रीति सी उत्तर दे रह्यो होतो, त फेस्तुस न ऊचो आवाज सी कह्यो, “हे पौलुस, तय पागल हय। बहुत अक्कल न तोख पागल कर दियो हय।”
25 पर पौलुस न कह्यो, “हे महानुभव फेस्तुस, मय पागल नहाय, पर सच्चायी अऊर बुद्धि को बाते कहू हय। 26 राजा भी जेको आगु मय निडर होय क बोल रह्यो हय, या बाते जानय हय; अऊर मोख विश्वास हय कि इन बातों म सी कोयी ओको सी लूकी नहाय, कहालीकि यो घटना कोयी कोना म नहीं भयी। 27 हे राजा अग्रिप्पा, का तय भविष्यवक्तावों को विश्वास करय हय? हव, मय जानु हय कि तय विश्वास करय हय।”
28 तब अग्रिप्पा न पौलुस सी कह्यो, “तय थोड़ोच समझानो सी मोख मसीही बनानो चाहवय हय?”
29 पौलुस न कह्यो, “परमेश्वर सी मोरी प्रार्थना हय कि का थोड़ो म का बहुत म, केवल तयच नहीं पर जितनो लोग अज मोरी सुनय हंय, इन बन्धनों ख छोड़ हि मोरी जसो होय जाये।”
30 तब राजा अऊर शासक अऊर बिरनीके अऊर उन्को संग बैठन वालो उठ खड़ो भयो; 31 अऊर अलग जाय क आपस म कहन लग्यो, “यो आदमी असो त कुछ नहीं करय, जो मृत्यु दण्ड यां जेलखाना म डालन जान को लायक हय।” 32 अग्रिप्पा न फेस्तुस सी कह्यो, “यदि यो आदमी कैसर की दुवा नहीं देतो, त छूट सकत होतो।”
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