2 जब ऊ बुलायो गयो त तिरतुल्लुस ओको पर दोष लगाय क कहन लग्यो: “हे महानुभव फेलिक्स, तोरो सी हम म बड़ी शान्ति म हय; अऊर तोरो व्यवस्था सी यो जाति लायी बहुत सी बुरायी सुधरतो जावय हंय। 3 येख हम सब जागा अऊर सब तरह सी धन्यवाद को संग मनाजे हंय। 4 पर येकोलायी कि तोख अऊर दु:ख नहीं देनो चाहऊं, मय तोरो सी बिनती करू हय कि कृपा कर क् हमरी दोय एक बाते सुन लेवो। 5 कहालीकि हम न यो आदमी ख उपद्रवी अऊर जगत को पूरो यहूदियों म फूट करावन वालो, अऊर नासरियों को कुपन्थ को मुखिया पायो हय। 6 ओन मन्दिर ख अशुद्ध करनो चाह्यो, पर हम न ओख पकड़ लियो। हम्न ओख अपनी व्यवस्था को अनुसार सजा दियो होतो; 7 पर पलटन को मुखिया लूसियास न ओख जबरदस्ती हमरो हाथ सी छीन लियो, 8 अऊर आरोप लगावन वालो ख तोरो आगु आवन की आज्ञा दी। इन सब बातों ख जिन्को बारे म हम ओख पर दोष लगायजे हंय, तय खुदच ओख जांच कर क् जान लेजो।” 9 यहूदियों न भी ओको साथ दे क कह्यो, या बाते योच तरह की हंय।
17 [a]“बहुत साल को बाद मय यरूशलेम अपनो लोगों ख दान पहुंचान अऊर भेंट चढ़ान आयो होतो। 18 उन्न मोख मन्दिर म, शुद्ध दशा म, बिना भीड़ को संग, अऊर बिना दंगा करयो भेंट चढ़ावतो पायो, उत आसिया को कुछ यहूदी होतो। 19 आसिया सी आयो कुछ यहूदी उत मौजूद होतो। यदि मोरो विरोध म उन्को जवर कोयी बात होती त इत तोरो आगु आय क मोरो पर दोष लगातो। 20 या यो लोग खुदच बताय कि जब मय महासभा को आगु खड़ो होतो, त उन्न मोरो म कौन सो अपराध पायो? 21 [b]केवल या बात ख छोड़ जेक मय न उन्को बीच म खड़ो भय क जोर सी कह्यो होतो: ‘मरयो हुयो को जीन्दो होन को बारे म तुम्हरो आगु मोरो न्याय होय रह्यो हय।’ ”
22 फेलिक्स न, जो यो पंथ की बाते ठीक-ठीक जानत होतो, उन्ख यो कह्य क टाल दियो, “जब पलटन को मुखिया लूसियास आयेंन, त तुम्हरी बात को फैसला करू।” 23 अऊर सूबेदार ख आज्ञा दी कि पौलुस ख थोड़ो छुट दे क रखवाली करजो, अऊर ओको संगी म सी कोयी ख भी ओकी सेवा करन सी रोकजो मत।
27 पर जब दोय साल बीत गयो त पुरकियुस फेस्तुस, फेलिक्स की जागा पर आयो; अऊर फेलिक्स यहूदियों ख खुश करन की इच्छा सी पौलुस ख जेलखाना मच छोड़्यो गयो।
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