6 यानेकि हम हमेशा हिम्मत बान्ध्यो रहजे हंय अऊर यो जानजे हंय कि जब तक हम शरीर को घर म रहजे हंय, तब तक हम प्रभु सी अलग रहजे हंय 7 कहालीकि हमरो जो जीवन जो देखजे हय ओको पर नहीं, पर जो विश्वास सी चलजे हंय 8 येकोलायी हम हिम्मत बान्ध्यो रहजे हंय, अऊर शरीर सी अलग होय क प्रभु को संग रहनो अऊर भी बहुत अच्छो समझजे हंय। 9 यो वजह हमरो मन की उमंग यो आय कि चाहे संग रहे चाहे अलग रहे, पर हम ओख भातो रहबोंन। 10 [a]कहालीकि जरूरी हय कि हम सब को हाल मसीह को न्याय आसन को सामने खुल जाये, कि हर एक आदमी अपनो अपनो अच्छो बुरो कामों को बदला जो ओन शरीर को द्वारा करयो।
16 यानेकि अब सी हम कोयी ख आदमी की समझ को अनुसार नहीं समझबोंन। फिर भी हम न मसीह ख भी आदमी की समझ को अनुसार जान्यो होतो, तब भी अब सी ओख असो नहीं जानबोंन। 17 येकोलायी यदि कोयी मसीह म हय त वा नयी रचना आय: पुरानी बाते बीत गयी हंय; देखो, सब बाते नयी भय गयी हंय। 18 या सब बाते परमेश्वर को तरफ सी हंय, जेन मसीह को द्वारा अपनो संग हमरो मेल-मिलाप कर लियो, अऊर मेल-मिलाप की सेवा हम्ख सौंप दियो हय। 19 यानेकि परमेश्वर न मसीह म होय क अपनो संग जगत को मेल-मिलाप कर लियो, अऊर उन्को अपराधो को दोष उन पर नहीं लगायो, अऊर ओन मेल-मिलाप को वचन हम्ख सौंप दियो हय।
20 येकोलायी, हम मसीह को राजदूत हंय; मानो परमेश्वर हमरो द्वारा बिनती कर रह्यो हय। हम मसीह को तरफ सी निवेदन करजे हंय कि परमेश्वर को संग मेल-मिलाप कर लेवो। 21 जो पाप सी अनजान होतो, ओखच ओन हमरो लायी पाप ठहरायो कि हम उन्म होय क परमेश्वर की सच्चायी प्राप्त करे।
<- २ कुरिन्थियों 4२ कुरिन्थियों 6 ->- a रोमियों १४:१०