7 तुम उच बातों ख देखो, जो आंखी को आगु हंय। यदि कोयी ख अपनो पर यो भरोसा होय कि मय मसीह को आय, त ऊ यो भी जान ले कि जसो ऊ मसीह को आय वसोच हम भी हंय। 8 कहालीकि यदि मय ऊ अधिकार को बारे म अऊर भी घमण्ड दिखाऊं, जो प्रभु न तुम्हरो बिगाड़न लायी नहीं पर बनावन लायी हम्ख दियो हय, त शर्मिन्दा नहीं होऊं। 9 यो मय येकोलायी कहू हय कि चिट्ठियां को द्वारा तुम्ख डरावन वालो नहीं ठहरू। 10 कहालीकि हि कह्य हंय, “ओकी चिट्ठियां त गम्भीर अऊर प्रभावशाली हंय; पर जब ऊ आगु होवय हय, त ऊ शरीर कमजोर अऊर बोलन म हल्को जान पड़य हय।” 11 जो असो कह्य हय, ऊ यो समझ रखे कि जब हम अनूपस्थिती हय त अपनो वचन म कठोर हंय, वसोच उपस्थिति म हमरो काम अऊर भी कठिन हय।
12 कहालीकि हम्ख यो हिम्मत नहीं कि हम अपनो आप ख उन म सी असो कुछ को संग गिन्यो यां उन सी अपनो ख मिलाये, जो अपनी बढ़ायी आप करय हंय, अऊर अपनो आप ख आपस म नाप तौल क एक दूसरों सी तुलना कर क् ऊ खुद मूर्ख ठहरय हंय। 13 हम त सीमा सी बाहेर घमण्ड कभी भी नहीं करबोंन, पर उच सीमा तक जो परमेश्वर न हमरो लायी ठहराय दियो हय, अऊर ओको म तुम भी आय गयो हय, अऊर ओकोच अनुसार घमण्ड भी करबोंन। 14 कहालीकि हम अपनी सीमा सी बाहेर अपनो आप ख बढ़ानो नहीं चाहजे, जसो कि तुम तक नहीं पहुंचन की दशा म होतो, बल्की मसीह को सुसमाचार सुनातो हुयो तुम तक आयो हंय। 15 हम सीमा सी बाहेर दूसरों को मेहनत पर घमण्ड नहीं करजे; पर हम्ख आशा हय कि जसो-जसो तुम्हरो विश्वास बढ़तो जायेंन वसो-वसो हम अपनी सीमा को अनुसार तुम्हरो वजह अऊर भी बढ़तो जाबोंन, 16 ताकि हम तुम्हरी सीमा सी आगु बढ़ क सुसमाचार सुनाबो, अऊर यो नहीं कि हम दूसरों कि सीमा को अन्दर बन्यो बनायो कामों पर घमण्ड करबो।
17 पर जसो शास्त्र कह्य हय “जो घमण्ड करेंन, ऊ प्रभु पर घमण्ड करेंन।” 18 कहालीकि जो अपनी बड़ायी करय हय ऊ नहीं, पर जेकी बड़ायी प्रभु करय हय, उच स्वीकार करयो जावय हय।
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