2 आग ना बेक्की दा मिलुसकु काँच इन घाई ऊंद समुद्र नोळदीन; अदिक जो लॉकुर आ पशु मा अदिक अदुर्द मूर्ति मा अदिक अदुर हेसुर इन अंक मा जयवन्त आगीदुर, आंदरी आ काँच इन समुद्र अन्द हात्ती परमेश्वर उन वीणागोळ इक हुळकु नीदुरकु नोळदुर. 3 आंदुर परमेश्वर उन दास मूसा अन्द हाळ, अदिक म्यांडा अन्द पाड्डा अन्द हाळ, हाळ हाळकु अनतोगोर,
5 इदुर बाद्दा ना नोळदीन कि स्वर्ग दा गवाही इन तम्बू उन मंदिर खोल्सकु आग्याद; 6 अदिक आंदुर येळु स्वर्गदूत यार हात्ती येळु परेशानीगोळ ईरव, मलमल इन शुद्ध अदिक चमकदार कपळा हाक्कु अदिक याद्दा मा व्हान्ना अन्द पट्टागोळ कटकु मंदिर टु होट्टुर. 7 आग आ नाकु प्राणीगोळ दा टु ऊंद आ येळ स्वर्गदूतगोळी परमेश्वर, जो हमेशा हमेशा जित्ता आन, आऊन प्रकोप देल तुमकु व्हान्ना अन्द येळ कटोरा कोट्टुर; 8 अदिक परमेश्वर उन महिमा अदिक आऊन सामर्थ्य अन कारण मंदिर धुंगा देल तुम्मेत, अदिक यागासताका आ येळु स्वर्गदूतगोळ्द येळु परेशानीगोळ खतम आगीदील आगासताका याऊ मंदिर दा होग सकिदील.
<- प्रकाशितवाक्य 14प्रकाशितवाक्य 16 ->