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स्तोत्र 148
1 याहवेह का स्तवन हो.
 
आकाशमंडल में याहवेह का स्तवन हो;
उच्च स्थानों में उनका स्तवन हो.
2 उनके समस्त स्वर्गदूत उनका स्तवन करें;
स्वर्गिक सेनाएं उनका स्तवन करें.
3 सूर्य और चंद्रमा उनका स्तवन करें;
टिमटिमाते समस्त तारे उनका स्तवन करें.
4 सर्वोच्च आकाश, उनका स्तवन करे और वह जल भी,
जो स्वर्ग के ऊपर संचित है.
 
5 ये सभी याहवेह की महिमा का स्तवन करें,
क्योंकि इन सब की रचना, आदेश मात्र से हुई है.
6 उन्होंने इन्हें सदा-सर्वदा के लिए स्थापित किया है;
उन्होंने राजाज्ञा प्रसारित की, जिसको टाला नहीं जा सकता.
 
7 पृथ्वी से याहवेह का स्तवन किया जाए,
महासागर तथा उनके समस्त विशालकाय प्राणी,
8 अग्नि और ओले, हिम और धुंध,
प्रचंड बवंडर उनका आदेश पालन करते हैं,
9 पर्वत और पहाड़ियां,
फलदायी वृक्ष तथा सभी देवदार,
10 वन्य पशु और पालतू पशु,
रेंगते जंतु और उड़ते पक्षी,
11 पृथ्वी के राजा और राज्य के लोग,
प्रधान और पृथ्वी के समस्त शासक,
12 युवक और युवतियां,
वृद्ध और बालक.
 
13 सभी याहवेह की महिमा का गुणगान करें,
क्योंकि मात्र उन्हीं की महिमा सर्वोच्च है;
उनका ही तेज पृथ्वी और आकाश से महान है.
14 अपनी प्रजा के लिए उन्होंने एक सामर्थ्यी राजा का उद्भव किया है,
जो उनके सभी भक्तों के गुणगान का पात्र हैं,
इस्राएली प्रजा के लिए, जो उनकी अत्यंत प्रिय है.
 
याहवेह की स्तुति हो.

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