फ़िलेमोन के नाम पौलॉस का पत्र
1 मसीह येशु के लिए बंदी पौलॉस तथा हमारे भाई तिमोथियॉस की ओर से,
12 उसे, जो अब मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं तुम्हारे पास वापस भेज रहा हूं. 13 हालांकि मैं चाहता था कि उसे अपने पास ही रखूं कि वह तुम्हारा स्थान लेकर ईश्वरीय सुसमाचार के लिए मुझ बंदी की सेवा करे. 14 किंतु मैंने तुम्हारी सलाह के बिना कुछ भी करना उचित न समझा कि तुम्हारी उदारता मजबूरीवश नहीं परंतु अपनी इच्छा से हो. 15 क्योंकि वह तुमसे कुछ समय के लिए इसी कारण अलग हुआ कि तुम उसे हमेशा के लिए प्राप्त कर लो. 16 दास के रूप में नहीं परंतु दास से ऊंचे एक प्रिय भाई के रूप में, विशेषकर मेरे लिए. वह मुझे तो अत्यंत प्रिय है ही किंतु मुझसे बढ़कर तुम्हें दोनों ही रूपों में—व्यक्ति के रूप में तथा प्रभु में भाई के रूप में.
17 इसलिये यदि तुम मुझे अपना सहभागी समझते हो तो मेरी विनती है कि तुम उसे ऐसे अपना लो जैसे तुमने मुझे अपनाया था. 18 यदि उसने किसी भी प्रकार से तुम्हारी कोई हानि की है या उस पर तुम्हारा कोई कर्ज़ है तो उसे मेरे नाम लिख देना. 19 मैं, पौलॉस, अपने हाथ से यह लिख रहा हूं कि मैं वह कर्ज़ चुका दूंगा—मुझे तुम्हें यह याद दिलाना आवश्यक नहीं कि तुम्हारा सारा जीवन मेरा कर्ज़दार है. 20 प्रिय भाई बहनो, मेरी कामना है कि प्रभु में मुझे तुमसे यह सहायता प्राप्त हो और मेरा मन मसीह में आनंदित हो जाए. 21 तुम्हारे आज्ञाकारी होने पर भरोसा करके, मैं तुम्हें यह लिख रहा हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम मेरे कहे से कहीं अधिक करोगे.
22 इसके साथ ही, मेरे घर का भी प्रबंध करो क्योंकि मुझे आशा है कि तुम्हारी प्रार्थनाओं के उत्तर में मैं परमेश्वर द्वारा तुम्हें दोबारा लौटा दिया जाऊंगा.
24 तथा मेरे सहकर्मी मार्कास, आरिस्तारख़ॉस, देमास और लूकॉस तुम्हें नमस्कार करते हैं.