4 उस व्यक्ति के लिए, जो पलायन कर इन नगरों में आश्रय लेता है, कि वह जीवित रह सके, विधान यह है: यदि किसी व्यक्ति से अपने साथी की हत्या जानबूझकर नहीं होती, जिसके हृदय में उस साथी के प्रति घृणा नहीं थी. 5 उदाहरणार्थ, जब कोई व्यक्ति अपने साथी के साथ कुल्हाड़ी ले वन में लकड़ी काटने गया हो, वह लकड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी का वार करता है और उसी समय कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उस साथी को जा लगती है, और उसकी मृत्यु हो जाती है, वह व्यक्ति पलायन कर इनमें से किसी एक नगर को चला जाए, कि उसके प्राण सुरक्षित रह सकें. 6 नहीं तो, हत्या का बदला लेनेवाला क्रोध में उसका पीछा करे और मार्ग लंबा होने के कारण उसे पकड़कर उसकी हत्या ही कर डाले-जबकि वह मृत्यु दंड के योग्य नहीं था, क्योंकि उसके मन में मृतक के प्रति कोई बैर था ही नहीं. 7 तब मेरा यह आदेश है, तुम्हें अपने लिए इस उद्देश्य से तीन नगर अलग करना ज़रूरी है.
8 यदि याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारी सीमा का आवर्धन करें; ठीक जैसी प्रतिज्ञा उन्होंने पूर्वजों से शपथ के साथ की थी, और वह तुम्हें वे सारे देश दे देते हैं, 9 यदि तुम सावधानीपूर्वक इस पूरा आदेश का पालन करते हो, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूं—याहवेह, अपने परमेश्वर से प्रेम करो और हमेशा उन्हीं की नीतियों का पालन करते रहो—तो तुम इन तीन नगरों के अलावा तीन अन्य नगर भी शामिल कर लोगे. 10 परिणामस्वरूप तुम्हारे देश में, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास-स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, तुम पर मनुष्य हत्या का दोष न आ पड़े और तुम्हारे बीच में किसी निर्दोष को मृत्यु दंड न दे दिया जाए.
11 मगर यदि कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी के प्रति बैर के कारण घात लगाकर बैठकर उस पर प्रहार करके उसकी मृत्यु हो जाती है, तब वह इनमें से किसी एक नगर को पलायन कर जाता है, 12 तब नगर के पुरनिए उसे वहां से लेकर मृत्यु दंड के लिए हत्या का बदला लेनेवाले को सौंप देंगे. 13 तुम उस पर ज़रा भी कृपा नहीं करोगे. तुम्हें इस्राएल राष्ट्र में से निर्दोष की हत्या को शुद्ध करते हुए उसका दोष दूर करना है, कि तुम्हारा भला हो.
14 उस देश में, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के रूप में दे रहे हैं, कि तुम इस पर अधिकार कर लो, तुम अपने पड़ोसी की उन सीमा-चिन्हों के साथ छेड़-छाड़ नहीं करोगे, जो पहले ही उनके पूर्वजों द्वारा तय की जा चुकी थी.
16 यदि कोई झूठा गवाह उठकर किसी पर किसी गलत काम का आरोप लगाए, 17 तो दोनों विवादी याहवेह के सामने और उन पुरोहितों और न्यायाध्यक्षों के सामने उपस्थित होंगे, जो उस अवसर पर न्यायी होंगे. 18 न्यायाध्यक्ष बारीकी से पूछताछ करेंगे और यदि यह मालूम हो जाए, कि वह झूठा गवाह है और उसने अपने भाई पर झूठा आरोप लगाया है, 19 तब तुम उसके साथ वही करोगे, जो उसके भाई के प्रति उसकी मंशा थी. अपने बीच की बुराई तुम इसी तरह से निकालोगे. 20 बाकी लोग यह सुनकर डर जाएंगे और ऐसी स्थिति तुम्हारे बीच फिर कभी न होगी. 21 इस विषय में कृपा दिखाई न जाए: प्राण का बदला प्राण से, आंख का आंख से, दांत का दांत से, हाथ का हाथ से, पैर का पैर से किया जाए.
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