1 येरूशलेम पहुंचते ही रिहोबोयाम ने यहूदाह और बिन्यामिन गोत्र को इकट्ठा किया. ये एक लाख अस्सी हज़ार अच्छे योद्धा इस उद्देश्य से इकट्ठा किए गए थे कि ये इस्राएल से युद्ध करें, कि रिहोबोयाम का राज्य उसके हाथ में दोबारा आ जाए.
2 मगर परमेश्वर के जन शेमायाह को याहवेह का यह संदेश भेजा गया: 3 “शलोमोन के पुत्र, यहूदिया के शासक रिहोबोयाम से और यहूदिया और बिन्यामिन प्रदेश के सभी इस्राएलियों में यह घोषणा कर दो, 4 ‘यह याहवेह का वचन है तुम अपने ही संबंधियों पर हमला नहीं करोगे. सभी अपने-अपने घर को लौट जाएं; क्योंकि इस स्थिति को मैं ही लाया हूं.’ ” उन्होंने याहवेह के संदेश के ही अनुसार किया और उन्होंने यरोबोअम पर हमला करने का विचार छोड़ दिया.
13 पूरे इस्राएल के पुरोहित और लेवी वंशज रिहोबोयाम से सहमत थे और वे उसके साथ हो गए. 14 यरोबोअम और उसके पुत्रों द्वारा याहवेह के लिए लेवियों की पौरोहितिक सेवा पर रोक लगाने के कारण वे अपनी चरागाह और संपत्ति को त्याग कर यहूदिया और येरूशलेम आ गए. 15 यरोबोअम ने पूजा स्थलों पर बकरे देवता और बछड़े देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्ठित कर दीं और इनके लिए खुद अपने ही चुने हुए व्यक्तियों को पुरोहित बना दिया. 16 इस्राएल के सारे गोत्रों में से वे लोग, जो हृदय से इस्राएल के परमेश्वर याहवेह के खोजी थे, इन पुरोहितों और लेवियों का अनुसरण करते हुए अपने पूर्वजों के याहवेह परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाने येरूशलेम चले जाते थे. 17 ये लोग तीन साल तक शलोमोन के पुत्र रिहोबोयाम का समर्थन करने के द्वारा यहूदिया राज्य को मजबूत बना रहे थे, क्योंकि वे दावीद और शलोमोन की नीतियों का पालन तीन साल तक करते रहे.
22 रिहोबोयाम ने माकाह के पुत्र अबीयाह को उसके भाइयों के ऊपर प्रधान और उनका अगुआ बनाया; क्योंकि उसकी इच्छा थी कि वह उसे राजा बनाए. 23 बड़ी ही बुद्धिमानी से उसने अपने कुछ पुत्रों को यहूदिया और बिन्यामिन राज्य की सीमा में सारे गढ़ नगरों में अलग-अलग ज़िम्मेदारियां सौंप दीं और उनके लिए बहुत मात्रा में भोजन की व्यवस्था भी कर दी. इसके अलावा उसने इन सबके लिए अनेक पत्नियों का प्रबंध भी कर दिया.
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